PATNA : जमीन अधिग्रहण के मसले पर कभी किसानों के हिमायती दिखने वाले नीतीश कुमार की सरकार ने अब राज्य में जो नई जमीन अधिग्रहण पॉलिसी लागू की है. उसके बाद जमीन मालिकों की मर्जी सरकार के सामने नहीं चलेगी. अब सरकार शहरीकरण के नाम पर किसी भी जमीन का अधिग्रहण कर पाएगी और इसके लिए जमीन मालिकों की राय कोई मायने नहीं रखेगी. बड़ी बात यह है कि सरकार ने बिहार शहरी आयोजना और विकास संशोधन विधेयक को विधानसभा में पास भी कर लिया और विपक्ष के ज्यादातर लोगों को यह मामला समझ में ही नहीं आया.
दरअसल, इस संशोधन विधेयक के पास होने के बाद अब राज्य सरकार शहरीकरण के लिए किसी भी जमीन का अधिग्रहण कर पाएगी. इसके लिए 80 फ़ीसदी भूमि मालिकों की मंजूरी की बाध्यता भी खत्म कर दी गई है. विधानसभा में यह विधेयक सोमवार को पास हो गया. अब अगर किसी जमीन का अधिग्रहण किया जाता है तो इसके लिए जमीन मालिकों की मंजूरी की बाध्यता भी नहीं होगी.
सरकार का मानना है कि शहरीकरण की दिशा में इस संशोधन विधेयक के पास होने के बाद तेजी आएगी. मास्टर प्लान के अनुरूप शहरों का विकास हो पाएगा और व्यवहारिक कठिनाइयों का निराकरण भी सरकार कर पाएगी. जमीन के लिए अब सरकार की विकास योजनाएं नहीं फंसेगी.
इस विधेयक के पास होने के दौरान सदन में विपक्ष भी मौजूद रहा लेकिन सत्र के अंतिम दिनों में सरकार ने इसे जिस रणनीति के तहत स्वीकृत कराया उसमें विपक्षी सदस्यों का ध्यान विधेयक में किए गए बदलाव पर नहीं जा पाया. जमीन अधिग्रहण एक ऐसा मसला रहा है जिस पर विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरता रहा है लेकिन इतने बड़े फैसले या तो विपक्ष समझ नहीं पाया या फिर उसने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई.