सरकार के झूठे दावों की पोल खोलने की मिली सजा? आनन फानन में हटाये गये कोविड डेडिकेटेड मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य औऱ अधीक्षक

सरकार के झूठे दावों की पोल खोलने की मिली सजा? आनन फानन में हटाये गये कोविड डेडिकेटेड मधेपुरा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य औऱ अधीक्षक

MADHEPURA : सरकार ने अपने जिस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल घोषित कर 500 मरीजों का इलाज करने का एलान किया था उस अस्पताल के प्रार्चाय और अधीक्षक का अचानक से तबादला कर दिया गया. शुक्रवार की शाम बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने दोनों अधिकारियों के ट्रांसफर का आदेश निकाला. हम आपको बता दें कि करीब एक सप्ताह पहले सरकार ने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाने का एलान किया था. इसके बाद अस्पताल अधीक्षक ने कहा था कि अभी यहां 40-50 मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन नहीं है और ना ही दूसरे संसाधन. 


कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रमुख हटाये गये

शुक्रवार की शाम बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी एसएस पांडेय ने ट्रांसफर आदेश जारी किया. इस आदेश के तहत मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल क़ॉलेज अस्पताल के प्राचार्य डॉ. गौरीकांत मिश्रा को हटा दिया गया. उनकी जगह बेतिया के राजकीय मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. भूपेंद्र प्रसाद को प्राचार्य बनाया गया है. वहीं मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश कुमार को भी हटाने की अधिसूचना जारी की गयी. सरकार ने उन्हें अधीक्षक पद से हटाकर इसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. बैद्यनाथ ठाकुर को नया अधीक्षक बना दिया है. सरकार ने दोनों पदाधिकारियों को कहा है कि के तत्काल अपना प्रभार नये पदाधिकारियों को सौंप दें.   

सच बोलने की मिली सजा

एक सप्ताह होने को हैं जब बिहार सरकार ने ये एलान किया कि मधेपुरा के जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाकर 500 मरीजों का इलाज किया जायेगा. सरकार के इस एलान से अस्पताल प्रबंधन हैरान रह गया था. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश कुमार ने खुलकर कहा कि फिलहाल उनके अस्पताल में 102 बेड है. लेकिन इतने मरीजों का भी इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. अस्पताल को 40-50 मरीजों के लिए भी बड़ी मुश्किल से ऑक्सीजन मिल रहा है. अगर ऑक्सीजन नहीं मिलेगा तो 500 बेड की कौन कहे 100 बेड पर भी मरीज को रख पाना मुश्किल होगा. अधीक्षक ने ये भी कहा था कि अस्पताल में डॉक्टर से लेकर नर्स औऱ पारा मेडिकर स्टाफ की भारी कमी है. ऐसे में 500 बेड का कोविड अस्पताल कैसे चालू हो पायेगा. मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक ने सरकार को पत्र लिखकर जरूरी सुविधायें उपलब्ध कराने की भी मांग की थी. 

अस्पताल प्रबंधन में टकराव की खबरें भी आम थीं

वैसे मधेपुरा के मडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रबंधन के बीच टकराव की खबरें भी आम थीं. अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि प्रार्चाय सरकार के हर सही गलत फैसले का बचाव करने पर अड़े थे. वहीं अधीक्षक लगातार अस्पताल की समस्याओं को उजागर कर रहे थे. अस्पताल अधीक्षक अधीक्षक मरीजों को सुविधायें दिलाने के लिए लगातार पत्र लिख रहे थे. स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिलाधिकारी को पत्र भेजे जा रहे थे. लेकिन प्राच्रार्य शिकायत कर रहे थे कि उन्हें पत्र की कॉपी नहीं भेजी जा रही है. जबकि किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सारा कंट्रोल प्राचार्य के हाथ में होता है.

उधर इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल की हालत ये है कि डॉक्टर अस्पताल नहीं आ रहे हैं. मधेपुरा के डीएम ने भी जब अस्पताल का निरीक्षण किया तो कई डॉक्टर गायब थे. कोविड डेडिकेटेड अस्पताल के नाम पर इमरजेंसी से लेकर ओपीडी की सुविधा बंद कर दी गयी थी. लेकिन कोरोना मरीजों का भी इलाज नहीं हो रहा था. 

सरकार की हवाई घोषणा

बिहार सरकार ने मधेपुरा के इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड घोषित कर 500 बेड पर करोना मरीजों का इलाज करने का एलान किया है. लेकिन हकीकतन स्थिति ये है कि इस अस्पताल में 500 मरीजों के इलाज के लाय़क सुविधा जुटाने में कम से कम दो महीने लगेंगे. लेकिन सरकार को एलान करने में क्या जाता है. हम आपको बता दें कि पिछले साल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल का उद्घाटन करते हुए बडे बडे दावे किये थे. लेकिन अब तक यहां जरूरी सुविधा बहाल नहीं हो पाई हैं. न सही से ऑपरेशन हो पा रहा है न दूसरा कोई क्रिटिकल इलाज. हां, मरीजों को रेफर करने का कोरम जरूर पूरा किया जा रहा है.