PATNA: नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का ऐलान सरकार ने किया है। इसके लिए नियोजित शिक्षको को एक विशेष परीक्षा देनी होगी और पास होना होगा। सक्षमता परीक्षा को पास करने के बाद नियोजित से नियमित शिक्षक बनाया जाएगा और राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा। राज्यकर्मी का दर्जा मिलते ही तमाम तरह की सरकारी सुविधाएं भी मिलने लगेगी। लेकिन यदि जब नियोजित शिक्षक तीन बार में भी सक्षमता परीक्षा पास नहीं करते हैं तो उन टीचरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
नियोजित शिक्षकों से सक्षमता परीक्षा लिये जाने के आदेश को शिक्षक संघ गलत बता रहे हैं। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा ने कहा कि यह सरकार का गलत फैसला है। उन्होंने कहा कि केके पाठक के इस फरमान पर थूकते हैं। KK पाठक खुद को शिक्षा विभाग का मालिक समझते हैं, लेकिन हमलोग ऐसे फरमान पर थूकते हैं। हम लड़ने को तैयार हैं और मरने को तैयार हैं।
नीतीश सरकार के द्वारा शिक्षकों को तंग किया जा रहा है। शिक्षक संघ भी सरकार को तंग करने के लिए तैयार है। ये पगली सरकार डेमोक्रेसी को नहीं समझती है। वही नियोजित शिक्षकों का कहना है कि KK पाठक के द्वारा लिया गया फैसला गलत है। हमलोग KK पाठक के फरमान से डरते नहीं हैं। वही सरकार के इस फैसले को भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ ने गलत बताया है। कहा है कि नीतीश कुमार और KK पाठक का यह तानाशाही रवैया है। नियोजित शिक्षकों का एग्जाम लेकर सरकार नियोजित शिक्षकों की नौकरी छीनना चाहती है।
नियोजित शिक्षकों का एग्जाम लेना लोकतंत्र का हनन है। नीतीश कुमार और केके पाठक शिक्षकों से बदला लेना चाहते हैं। नीतीश कुमार के संरक्षण में KK पाठक इस तरह का फरमान जारी करते हैं। KK पाठक को इतना हौसला नहीं कि वो अपने दम पर फरमान जारी करें। नीतीश कुमार को लगता है, 2020 के चुनाव में शिक्षकों ने उन्हें वोट नहीं दिया था। इसलिए नीतीश कुमार बदला लेना चाहते हैं। इसे लेकर भाकपा-माले सदन में आवाज उठाएगी। नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने के लिए भाकपा-माले बजट सत्र के दौरान महा आंदोलन करेगी।