PATNA: हड्डी के जोड़ की समस्या आम हो गई है। 60 वर्ष के बाद यह समस्या ऊभरने लगती है। कई लोगों को डॉक्टर जोड़ का प्रत्यारोपण कराने की सलाह देते हैं। लेकिन वो सर्जरी से भागते हैं। उन्हें डर होता है कि सर्जरी कहीं असफल हो गया तब। ऐसे में कंकड़बाग स्थित अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहेबिलिटेशन बेहतर जगह हो सकता है।
यहां जोड़ विशेषज्ञ डॉ. आशीष सिंह रोबोटिक्स की मदद से घुटना और कूल्हा का प्रत्यारोपण करते हैं। यह 100 प्रतिशत सफल साबित हुआ है। यहां हर वर्ष 500 से ज्यादा जोड़ का प्रत्यारोपण होता है। सिर्फ डॉ. आशीष सिंह हर रोज चार से पांच प्रत्यारोपण करते हैं।
यहां 24 घंटा ट्रामा सेंटर क्रियाशील रहता है। यहां डीएनबी की पढ़ाई भी होती है। आयुष्मान भारत के तहत भी यहां इलाज होता है। अब तो इस इंस्टीट्यूट की ख्याती इतनी बढ़ गई है कि यहां अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान आदि देशों से भी मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों से भी लोग यहां इलाज कराने आते हैं।
यहां 40 से 45 मिनट में हो जाता है प्रत्यारोपण
यहां एक घुटना या एक तरफ का कूल्हा प्रत्यारोपण में 40 से 45 मिनट का समय लगता है। ऑपरेशन के चार घंटा बाद ही मरीज पैर पर पूरा दबाव डालकर चलने लगता है। हालांकि अन्य जगह एक घंटा से ज्यादा समय लगता है। डॉ. आशीष कहते हैं कि मैं 40-45 मिनट में कर देता हूं। मैं दोनों घुटना और दो तरफ का कूल्हे का प्रत्यारोपण एक साथ करता हूं जबकि अन्य जगह एक बार में एक ही करते हैं।
दरअसल, मैं रोबोट की मदद से सर्जरी करता हूं। इस वजह से 100 प्रतिशत सटीकता रहती है। चीरा कम लगता है और खून कम बहता है। ऊतक को कम से कम नुकसान होता है। पूर्वी भारत में अनूप इंस्टीट्यूट पहला अस्पताल है जहां रोबोट की सलाह से सर्जरी शुरू की गई।
हड्डी के कैंसर का भी ऑपरेशन
डॉ. आशीष कहते हैं कि अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहेबिलिटेशन में स्पाइन, दूरबीन, प्रत्यारोपण यूनिट और ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी विभाग क्रियाशील है। यहां ऑर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी (हड्डी का कैंसर) का भी इलाज होता है। जिस अंग की हड्डी में कैंसर होता है मैं ऑपरेशन कर के उसे बदल देता हूं। यह इंस्टीट्यूट एनएबीएच से प्रमाणित है।
दर्द निवारक गोलियां खानी पडे़ तो करा लें प्रत्यारोपण
डॉ. आशीष कहते हैं कि जब घुटना या कूल्हा का दर्द इतना बढ़ जाए कि हर रोज दर्द निवारक गोलियां खानी पडे़ तथा रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगे तो प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है। डॉ. आशीष के मुताबिक बदलती जीवनशैली हड्डी कमजोर होने का मुख्य कारण है। आज हम कमरे में बंद हो गए हैं और जंक फूड खा रहे हैं।
मोटापा, धूम्रपान और गुटखा का सेवन भी हड्डी के कमजोर होने का कारण हैं। हमारा खाना अच्छा नहीं होता है। इसलिए दो-तीन बातों का ख्याल रखना होगा। मसलन, नियमित व्यायाम करना और वजन नियंत्रित रखना। डॉक्टर की सलाह भी समय-समय पर लेती रहनी चाहिए ताकि समय से समस्या पकड़ी जा सके और उसे धीमा किया जा सके।