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1st Bihar Published by: Updated Fri, 26 Feb 2021 06:09:47 PM IST
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PATNA: राष्ट्रीय लोक समता पार्टी द्वारा आयोजित किसान चौपाल में किसानों को कृषि कानूनों के सच को बताया गया। पार्टी नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार का कृषि कानून यदि देश में पूरी तरीके से लागू हो गया तो इसका असर जन वितरण प्रणाली पर भी पड़ेगा और गरीबों-वंचितों से मुंह का निवाला छिन जाएगा। किसान संगठनों का समर्थन दे रहे रालोसपा ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने की साजिश रच रही है।
रालोसपा पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक और प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज सिंह कुशवाहा ने यह बातें कहीं। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश महासचिव वीरेंद्र प्रसाद दांगी, किसान प्रकोष्ठ के प्रधान महासचिव रामशरण कुशवाहा, कार्यालय प्रभारी अशोक कुशवाहा, संगठन सचिव विनोद कुमार पप्पू. सचिव राजेश सिंह और रालोसपा नेता विधेम रोशन भी मौजूद थे।
रालोसपा ने बताया कि एमएसपी पर सरकारी खरीद होती है और गरीबों-वंचितों को अनाज सरकार इसी से मुहैया कराती है लेकिन एमएसपी खत्म होने के बाद बड़ी कंपनियां अपनी जेब से खर्च कर गरीबों को अनाज मुहैया नहीं कराएगी, क्योंकि उसका लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है चैरिटी करना नहीं। सरकार इसे समझ रही है और देश के किसान भी समझ रहे हैं इसलिए किसान देश भर में आंदोलन कर रहे हैं। बिहार के किसानों को भी इसे समझना होगा और एनडीए सरकार के खिलाफ हल्ला बोलना होगा।
रालोसपा का किसान चौपाल दो फरवरी से शुरू हुई थी और 28 फरवरी तक चलेगी। पार्टी नेताओं ने बताया कि सरकार किसानों के आंदोलन का सबसे बड़ा कारण नए किसान कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य का खत्म होना है। सरकार जिस तरह से कानून लेकर आई है उससे धीरे-धीरे एमएसपी खत्म हो जाएगा और फिर किसानों को अपनी फसल को औने-पौने में कारपोरेट घरानों को बेचने होंगे। जाहिर है कि वे किसानों की फसल अपने मुनाफे को ध्यान में रखकर ही खरेदेंगे और फिर बाजार में उसे बेचेंगे। तब इसका सीधा असर जन वितरण प्रणाली पर पड़ेगा।
रालोसपा नेताओं ने कहा कि इस नए कृषि कानून के कारण सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दे दी है। इससे साफ है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मुल्य भी नहीं मिल पाएगा। भाजपा नेता और केंद्र सरकार लोगों को भरमा रही है कि यह कानून किसानों के हित में है। जबकि इन कानूनों में सब कुछ काला है। बड़ी वितरण प्रणाली पर पड़ेगी और इससे बिहार सहित पूरे देश के गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े-अतपिछड़े समाज को इसका खमियाजा भुगतना होगा। रालोसपा ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसा कर गरीबों से उनकी रोटी छीनने में लगी है।