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1st Bihar Published by: Aryan Anand Updated Tue, 12 Oct 2021 02:20:31 PM IST
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PATNA : राष्ट्रीय जनता दल को वन मैन पार्टी माना जाता रहा है. लालू प्रसाद यादव जो कह दे या फिर जो कर दें, वहीं आरजेडी है. एक दौर था जब लालू प्रसाद यादव की हर बात पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए पक्की लकी हुआ करती थी. लेकिन बदलते हुए दौर में अब लालू परिवार के अंदर ही उनकी बात ना मानने वाले सदस्य खड़े हो गए हैं. लालू प्रसाद के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के बावजूद तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच जो कुछ हो रहा है, उसका असर अब पार्टी के दूसरे नेताओं पर भी दिखने लगा है. यही वजह है कि लालू यादव की बात भी अब पार्टी के दूसरे नेताओं और कार्यकर्ताओं के ऊपर बेअसर नजर आती है.
दरअसल पिछले दिनों पार्टी के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नेताओं और कार्यकर्ताओं से जुड़े थे. वर्चुअल संवाद में लालू यादव ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को खुले तौर पर कहा कि वह राष्ट्रीय जनता दल के झंडे और सिंबल वाले हरे रंग की टोपी पहने या गले में हरा गमछा लपेटे. लालू यादव के आदेश के बाद माना जा रहा था कि पार्टी के नेता अब इस फरमान के मुताबिक ही नजर आएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आरजेडी के नेताओं के लिए लालू यादव की बात शायद उतनी ज्यादा मायने नहीं रखती. यही वजह है कि आज राबड़ी देवी के आवास पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जब पूर्व विधायकों और विधान सभा उम्मीदवारों की बैठक बुलाई तो ज्यादातर नेता बगैर टोपी और गमछा के ही वहां पहुंचे.
हालांकि की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के आदेश के मुताबिक हरी टोपी और गमछा डाले नजर आए. कुछ एक अन्य नेता भी गले में हरे रंग का गमछा डाले बैठक में शामिल होने पहुंचे. लेकिन ज्यादातर नेताओं के गले पर ना तो हरे रंग का गमछा था और ना ही हरे रंग की टोपी. दरअसल आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव न जब भी यह आदेश दिया था तो उनका मकसद था कि आरजेडी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सीधे-सीधे पहचान हो सके.
लालू यादव के इस प्रयोग को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की तरफ से किए गए प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा था. यूपी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता लाल रंग की टोपी पहनते हैं. इसी तर्ज पर लालू भी बिहार में आरजेडी की खास पहचान बनाना चाहते हैं. लेकिन शुरुआती दौर में लालू यादव का यह फरमान पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ज्यादा असर डालता नहीं दिख रहा. बस बिहार में इस मसले पर आरजेडी के नेताओं से बातचीत भी की ज्यादातर नेता सवालों से बचते दिखे.