रांची में राहुल गांधी की रैली, एक बार फिर मोदी और अडाणी पर बोला हमला

रांची में राहुल गांधी की रैली, एक बार फिर मोदी और अडाणी पर बोला हमला

RANCHI: रांची के एचईसी शहीद मैदान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक रैली को संबोधित किया। लोगों को संबोधित करते हुए राहुल ने एक बार फिर मोदी और अडाणी पर हमला बोला। कहा कि किसी भी आदिवासी को झारखंड में मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी जी नहीं देखना चाहते हैं। इसीलिए हमारी सरकार को हटाने की कोशिश की गई। 


कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान झारखंड पहुंचे थे। 02 फरवरी को राहुल गांधी की यात्रा झारखंड के पाकुड़ से शुरू हुई। वही 03 तीन फरवरी को देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर पहुंचे थे। जबकि  4 फरवरी को धनबाद और बोकारो में राहुल गांधी पहुंचे थे। वही 04 फरवरी की शाम रामगढ़ के लिए वे रवाना हुए जहां रात्रि विश्राम के बाद 05 फरवरी को रामगढ़ होते हुए राहुल गांधी रांची पहुंच गये। 


रांची पहुंचने पर राहुल गांधी का जोरदार स्वागत किया गया। रांची में रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों की समस्या को भी उठाया। यह वादा किया कि यदि कांग्रेस की सरकार आई तो सरना धर्म कोड लागू करेंगे। यह भी वादा किया कि आरक्षण की 50% की सीमा को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने कहा कि दलितों-आदिवासियों का आरक्षण घटाए बगैर पिछड़ों को आरक्षण देंगे।


उद्योगपति अडाणी पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में जितने भी बड़े ठेके हैं वो अडाणी को दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ओबीसी होने पर भी राहुल ने निशाना साधा। कहा कि पीएम मोदी अब कहते हैं कि देश में सिर्फ दो ही जातियां है एक अमीर और दूसरा गरीब है। इसके अलावे कोई जाति नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि जब चुनाव आता है तब मोदी जी वोट लेने के लिए अपनी जाति बनाने लगते हैं। चुनाव खत्म होने के बाद बताने लगते हैं कि देशभर में सिर्फ दो ही जाति है एक अमीर और दूसरा गरीब।


रांची में रैली को संबोधित करने से पहले रास्ते में कोयला ढोने वाले मजदूरों से उन्होंने बात की और उनकी कमाई के बारे में जाना। मजदूरों से मुलाकात की तस्वीरों को भी शेयर किया। जिसमें मजदूरों से बात करते और साइकिल चलाते देखा जा सकता है। एक्स पर कांग्रेस नेता ने लिखा कि "साइकिल पर 200-200 किलो कोयला लेकर रोज़ 30-40 किलोमीटर चलने वाले इन युवाओं की आय नाम मात्र है। बिना इनके साथ चले, इनके भार को महसूस किए, इनकी समस्याओं को नहीं समझा जा सकता। इन युवा श्रमिकों की जीवनगाड़ी धीमी पड़ी, तो भारत निर्माण का पहिया भी थम जाएगा।