PATNA: रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताने वाले तेजस्वी यादव की पार्टी के विधायक और नीतीश कुमार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के बयान के बाद बिहार के साथ साथ पूरे देश का सियासी पारा गरम हो गया है। सियासी दलों के साथ साथ सामाजिक और हिंदू संगठनों के लोग भी इसका विरोध जता रहे है। जिन दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के हक की बात को लेकर शिक्षा मंत्री बेतुका बयान दे रहे हैं उसी समाज के नेता चिराग पासवान ने प्रो. चंद्रशेखर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है। चिराग ने कहा है कि बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री ने लाखों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाई है और लोगों की भावना को भड़काने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति के नाम पर समाज को बांटने का काम करते हैं तो उनके मंत्री से क्या उम्मीद की जा सकती है। चिराग ने कहा कि नीतीश कुमार इसका खामियाजा पहले भुगत चुके हैं और आने वाले चुनावों में भी उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जमुई सांसद चिराग पासवान ने कहा है कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर हों या वैसे तमाम राजनीतिक दल और नेता जो बंटवारे की राजनीतिक करना चाहते हो, वो हमारे इतिहास और हमारे ग्रंथों को जिसमें लोगों की आस्था होती है उसपर सवाल उठाकर लोगों की भावना को भड़काने का काम करते हैं। बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहां के मुख्यमंत्री ने अपनी पूरी राजनीति बंटवारा करके ही स्थापित किया है। बंटवारे की राजनीति कर नीतीश कुमार कई सालों से बिहार के सीएम बने हुए हैं। जो मुख्यमंत्री दलित को महादलित में बांटे, पिछड़ा को अतिपिछड़ा में बांट दे और कभी अगड़ा तो कभी पिछड़ा की राजनीति करता हो, उसके मंत्री से क्या उम्मीद की जा सकती है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश और उनके मंत्री भड़काउ बयान देते रहते हैं। लोगों की आस्था से इस तरह से खिलवाड़ करने का परिणाम पहले भी नीतीश कुमार पिछले चुनाव में भुगत चुके हैं और आने वाले चुनावों में फिर से जनता उन्हें इसका माकूल जवाब देगी।
बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को लेकर बुधवार को विवादित बयान दिया था। उन्होंने रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था। शिक्षा मंत्री के इस बयान का भारी विरोध होने के बावजूद गुरुवार को एक बार फिर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि वे अपने बयान पर कायम हैं और उन्हें गोली भा मार दी जाए तो वे विरोध जताते रहेंगे। उनका कहना है कि उन्होंने कुछ ऐसा नहीं कहा है जिसके लिए उन्हें मांफी मांगने की जरूरत है। माफी तो उन लोगों को मांगनी चाहिए जिन्होंने अन्याय किया है। प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा है कि रामचरितमानस समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है और मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस ने नफरत को फैलाया है।