PATNA: बिहार विधान परिषद में राज्यपाल कोटे से 12 MLC के मनोनयन को लेकर NDA के साझीदार दलों के बीच सहमति नहीं बन पायी है. लिहाजा आज भी लोग इंतजार करते रह गये और कैबिनेट से कोई प्रस्ताव पास नहीं हुआ. दो दिन पहले बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव की नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद चर्चा थी कि बात बन गयी है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
दरअसल बिहार विधान परिषद की 12 सीटों पर राज्यपाल कोटे से मनोनयन होता है. 2014 में इस कोटे से मनोनीत विधान पार्षद डेढ़ महीने पहले रिटायर हो चुके हैं. लेकिन नये सदस्यों का मनोनयन नहीं हो रहा है. जबकि इसमें कोई बाधा नहीं है. दरअसल नाम राज्यपाल कोटा होता है लेकिन MLC के तौर पर किनका मनोनयन होगा इसकी सिफारिश राज्य सरकार करती है. राज्य सरकार जिनका नाम भेजती है राज्यपाल उसे मंजूरी देते हैं. बिहार और केंद्र में एक ही गठबंधन की सरकार है लिहाजा कहीं कोई बाधा नहीं दिखती.
कैबिनेट से आज भी पारित नहीं हुआ प्रस्ताव
जेडीयू-बीजेपी के साथ साथ LJP के नेताओं को इंतजार था कि आज कैबिनेट में इस बाबत प्रस्ताव आयेगा. दरअसल ये औपचारिक प्रक्रिया होती है. राज्य कैबिनेट ये प्रस्ताव पारित करती है कि विधान परिषद में मनोनयन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया जाता है. इसके बाद मुख्यमंत्री 12 नामों की सूची राजभवन भेज देते हैं. लेकिन नेता कयास लगाते रह गये और कैबिनेट में इसका कोई प्रस्ताव नहीं आया.
NDA में नहीं बन पायी है सहमति
सियासी जानकार बता रहे हैं कि बिहार में NDA के घटक दलों यानि जेडीयू,बीजेपी और एलजेपी के बीच राज्यपाल कोटे से मनोनयन पर सहमति नहीं बन पायी है. परसो बीजेपी के नेता भूपेंद्र यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे. तब ये चर्चा थी कि दोनों के बीच एमएलसी के मनोनयन पर भी चर्चा हुई थी. कुछ मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया जा रहा था कि बात भी बन गयी है. लेकिन आज के घटनाक्रम से ये दिख रहा है कि तीनों पार्टियों में सहमति नहीं बन पायी है.
LJP का पेंच फंसा है
दरअसल बात लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर फंसी है. सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार एलजेपी के लिए सीट नहीं छोड़ना चाहते. चर्चा ये है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी को कहा है कि वो अपने कोटे से लोक जनशक्ति पार्टी के लिए सीट छोड़ दे. लेकिन बीजेपी तीनों पार्टियों का प्रतिनिधित्व चाहती है. लिहाजा पेंच फंसा हुआ है.