PATNA: 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक तौर पर हाशिए पर जा चुके शरद यादव विधानसभा चुनाव के पहले वापसी कर सकते हैं। शरद यादव को लेकर लगातार सियासी गलियारे में यह चर्चा है कि वह जेडीयू में एक बार फिर से शामिल हो सकते हैं। दरअसल शरद यादव बिहार में महागठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार से अलग लकीर खींचते हुए लालू यादव के साथ हो गए थे। शरद यादव 2019 का लोकसभा चुनाव मधेपुरा से आरजेडी उम्मीदवार के तौर पर लड़ा लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
जनता दल यूनाइटेड से आज सपा के सांसद शरद यादव की सदस्यता 2022 तक है लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उनकी सदस्यता को लेकर जेडीयू ने अधिकारिक तौर पर राज्य सभा के सभापति के पास शिकायत दर्ज कराई हालांकि इस मामले में अब तक सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई है और शरद यादव की सदस्यता पर कोई अंतिम फैसला भी नहीं हुआ है. इस सब के बीच यह चर्चा है कि शरद यादव एक बार फिर घर वापसी कर सकते हैं। शरद के समर्थकों में नई उम्मीद जाग रही है अगर शरद यादव जेडीयू में वापसी करते हैं तो ना केवल उनकी राज्यसभा की सदस्यता बच जाएगी बल्कि उनकी राजनीति भी एक बार फिर सक्रिय हो जाएगी।
नीतीश कुमार से राह अलग करने के बाद शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था हालांकि उन्होंने खुद इस पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा आरजेडी के सिंबल पर लालू यादव ने उन्हें मैदान में उतारा लोकसभा चुनाव के पहले लगातार यह चर्चा होती रही कि चुनाव के बाद सड़क की लोकतांत्रिक जनता दल का आरती में विलय हो जाएगा लेकिन बिहार में एनडीए ने जिस तरह क्लीन स्वीप किया उसके बाद शरद हाशिए पर चले गए लालू यादव ने उनकी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल के विलय की बात को ठंडे बस्ते में डाल दिया
शरद की एक दो दफे लालू यादव से रांची रिम्स में मुलाकात भी हुई लेकिन बात नहीं बन सकी राज्यसभा चुनाव के दौरान भी लालू ने शरद यादव को तरजीह नहीं दी इसके बाद शरद यादव की पार्टी के नेताओं ने आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था अब विधानसभा चुनाव के पहले भी शरद को लेकर कोइ सुगबुबाहट नहीं है ऐसे में शरद के पुराने सहयोगी रह चुके वरिष्ठ नेताओं का प्रयास है कि वह घर वापसी कराएं। बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री के करीबी रहे विजेंद्र यादव इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। यादव की तबीयत खराब थी और रविवार को ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली है उनके घर वापसी की खबरें चर्चा में है लेकिन अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका ह।ै राजनीतिक विकल्प बचे हैं ऐसे में अगर वह नीतीश कुमार के साथ मन मार कर आते हैं तो कोई अचरज नहीं।