रेल भाड़ा पॉलिटिक्स में पीके की इंट्री; केन्द्र-राज्य सब को लपेटा, पूछा- जब सब दे रहे मदद तो मजदूरों से कौन ले रहा पैसा

रेल भाड़ा पॉलिटिक्स में पीके की इंट्री; केन्द्र-राज्य सब को लपेटा, पूछा- जब सब दे रहे मदद तो मजदूरों से कौन ले रहा पैसा

PATNA : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रेल भाड़े पर हो रही पॉलिटिक्स में इंट्री मारी है। प्रशांत किशोर ने इस पूरे मामले पर करारा तंज कसा है। उन्होनें केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों को लपेटते हुए कहा है कि जब सब मजदूरों को मदद देने का दावा कर रहे हैं तो आखिर उनसे पैसे कौन ले रहा है।  


प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि रेलवे 85% सब्सिडी दे रहा है। केंद्र पैसे ले नहीं रहा और राज्य तो किराए के साथ कई और सुविधाएं देने का दावा कर रहे हैं।अब तो विडम्बना ये कि विपक्ष ने भी सबका किराया देने की बात कही हैं! अगर सबलोग इतना कुछ कर रहे हैं तो मज़दूर इतने बेबस क्यों हैं और उनसे ये पैसे ले कौन रहा है?


प्रशांत किशोर का ये ताजा हमला रेल भाड़े को लेकर हैं । जहां तमाम सरकारें दावा कर रही है कि वे मजदूरों से एक भी पैसा नहीं ले रहे हैं। रेलवे का दावा है कि टिकटों पर 85 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। बाकी बचे 15 फीसदी पैसे राज्य सरकारों से लिया जा रहा है। वहीं राज्य सरकारों का दावा है कि वे मजदूरों से एक भी रुपये नहीं ले रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री ने तो वीडियो जारी कर साफ किया था कि वे मजदूरों से एक भी पैसा भाड़ा नहीं ले रहे बल्कि उन्होनें यहां तक कहा कि वापस आने वालों को सरकार पैसा दे रही है। लेकिन इन तमाम दावों के बीच हजारों ऐसे मामले लगातार सामने आ रहैं है जिसमें वापस आने वाले मजदूरों से भाड़ा वसूला जा रहा है।


बता दें कि पीके के हमले के बीच दिल्ली से बिहार के मजदूरों की घऱ वापसी पर केजरीवाल सरकार का झूठ भी सामने आया है। केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि बिहार के मजदूरों के ट्रेन का किराया उसने दिया है। लेकिन बिहार सरकार को भेजे गये दिल्ली सरकार के पत्र ने झूठ को उजागर कर दिया। उधर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने गलत दावे कर अपनी पीठ थपथपा रहे केजरीवाल सरकार की तारीफों के पुल बांध दिये। दरअसल दिल्ली सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि अब बिहार सरकार उसे ट्रेन का किराया वापस करे। दिल्ली सरकार ने कहा है कि मजदूरों का ट्रेन किराया साढे 6 लाख रूपया है। बिहार सरकार ये रकम चुकाये।