DELHI : लॉकडाउन 3.0 की शुरुआत में ही प्रवासी मजदूरों का घर वापस जाना एक बड़ा राजनीतिक मसला बन गया है। कांग्रेस और बिहार की आरजेडी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि इस संकट के वक्त में भी केंद्र सरकार मजदूरों से टिकट का पैसा वसूल रही है। इन सभी आरोपों पर अब रेल मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया है। रेल मंत्रालय का कहना है कि इन पूरी यात्राओं के लिए सिर्फ राज्य सरकारों से 15 फीसदी पैसा वसूला जा रहा है, ऐसे में कोई भी टिकट नहीं बेचा जा रहा है।
रेलवे किराया वसूली को लेकर देश में राजनीति तेज हो गयी जब सोशल मीडिया पर टिकटों की तस्वीरें साझा होनी शुरू हो गयी। सोमवार सुबह कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने ये ऐलान कर दिया कि मजदूरों का रेलवे किराया कांग्रेस वहन करेगी। इसके साथ ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए। बिहार राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी बिहार के मजदूरों का किराया चुकाने का ऐलान किया। इन सब के बीच ही रेलवे ने अपनी सफाई जारी कर दी और कहा कि मजदूरों से पैसा नहीं लिया जा रहा।
आरोपों के बीच रेल मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि भारतीय रेलवे प्रवासी मजदूरों के टिकट के लिए सामान्य चार्ज वसूल रही है, वो भी राज्य सरकार से सिर्फ 15 फीसदी ही लिए जा रहे हैं। रेलवे की ओर से कोई टिकट नहीं बेची जा रही है, सिर्फ उन्हीं यात्रियों को ट्रेनों में बैठाया जा रहा है जिनकी जानकारी राज्य सरकारें दे रही हैं।
रेलवे मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग के कारण एक कोच में कई सीटें खाली रही रहीं हैं, साथ ही वापसी में पूरी ट्रेन खाली आती है। इसके साथ ही ट्रेन में सवार लोगों को मुफ्त भोजन और पानी भी दिया जाता है। साथ ही कहा कि 34 श्रमिक स्पेशल ट्रेंने चलायीं जा रही हैं। रेलवे इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि संकट की इस घड़ी में देश भर में कहीं भी गरीबों को कई परेशानी नहीं हो। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों की यात्रा पहले ही सब्सिडी पर थी। केंद्र की ओर से ही मजदूरों की स्क्रीनिंग, डॉक्टर, सुरक्षा, रेलवे स्टाफ का खर्च किया जा रहा है। राज्य सरकारें किराए का 15 फीसदी भार उठा रही हैं।