राहुल गांधी से मुलाकात के लिए बेचैन पप्पू यादव कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए, JAP सुप्रीमो की एकतरफा मोहब्बत देखिये

राहुल गांधी से मुलाकात के लिए बेचैन पप्पू यादव कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए, JAP सुप्रीमो की एकतरफा मोहब्बत देखिये

PATNA : विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन के अंदर बिखराव क्या हुआ पप्पू यादव कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ाने लगे. आरजेडी और कांग्रेस के बीच बड़ी दूरी का फायदा उठाने के लिए पप्पू यादव बेचैन दिख रहे हैं. पप्पू यादव जब जेल से बाहर आए. उस वक्त लगातार चर्चा हुई कि वह अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर देंगे. हालांकि बाद में पप्पू ने खुद इस बात को खारिज किया. लेकिन अब पप्पू यादव लगातार आरजेडी से कांग्रेस की बढ़ती दूरी के बीच अपनी गोटी फिट करने में लगे हुए हैं.


कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के लिए बेचैन पप्पू यादव आज अचानक से दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए. कांग्रेस के किसी नेता ने ना तो उन्हें मुलाकात के लिए बुलावा भेजा था और ना ही उनकी मीटिंग किसी से तय थी. इसके बावजूद पप्पू अचानक से कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए. इतना ही नहीं पप्पू यादव के करीबी नेताओं ने उनके कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने की खबर मीडिया को दे डाली.


मीडिया को ऐसा लगा कि शायद पप्पू यादव कांग्रेस के किसी बड़े नेता से मुलाकात करने वाले हैं. लिहाजा वह हुजूम भी जमा हो गया. लेकिन पप्पू काफी देर तक कांग्रेस मुख्यालय में इधर-उधर टहलते रहे. कभी वह तारीक अनवर के चेंबर में गए तो कभी दूसरे नेता के चेंबर में. किसी भी नेता से शुरुआत में उनकी मुलाकात नहीं हुई. आखिरकार आरपीएन सिंह से उनकी मुलाकात हुई. आरपीएन सिंह झारखंड प्रभारी हैं और उस वक्त वह कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद थे.


पप्पू यादव ने कांग्रेस के लिए एक तरफा मोहब्बत दिखाते हुए कांग्रेस को राजा और खुद को रंक बता डाला. उनकी पार्टी का कांग्रेस में विलय होगा या नहीं यह सवाल पूछे जाने पर पप्पू ने राहुल गांधी की शान में खूब कसीदे पढ़े. पप्पू यादव को ऐसा लग रहा है कि अगर तेजस्वी यादव राहुल गांधी से दूर हो रहे हैं. तो उनकी एंट्री का यह सही मौका है. यही वजह है कि पप्पू कांग्रेस मुख्यालय में खड़े होकर यह बताते रहे कि बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास में आरजेडी को कितनी खरी खोटी सुनाई है.


पप्पू यादव ने कहा कि अगर बिहार कांग्रेस प्रभारी यह कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव बीजेपी के साथ मिले हुए हैं. तो अब कांग्रेस से किस तरह आरजेडी के साथ आगे चल पाएगी. पप्पू यादव की यह बेचैनी बता रही है कि वह अपनी राजनीति को जिंदा रखने के लिए किस कदर अकुलाहट में हैं.