समाजसेवी अजय सिंह ने मदद के बढ़ाए हाथ, पुलिस और आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को सौंपा जंपिंग गद्दा Success Story: पुलिस ने मांगी रिश्वत तो लड़की ने शुरू कर दी UPSC की तैयारी, पहले IPS बनीं; फिर IAS बनकर पिता का सपना किया साकार JEE Main 2025: जेईई मेन में VVCP के छात्र-छात्राओं ने फिर लहराया परचम, जिले के टॉप थ्री पर कब्जा BIHAR NEWS: बिहार के गरीबों के लिए 2102 करोड़ रू की मंजूरी, जल्द ही खाते में जायेगी राशि, डिप्टी CM ने PM मोदी को कहा 'धन्यवाद' Chanakya Niti: दौलत, औरत और औलाद ...चाणक्य ने इन्हें क्यों बताया अनमोल? नीतीश कुमार को बड़ा झटका, जेडीयू के पूर्व विधायक मास्टर मुजाहिद आलम ने दिया इस्तीफा Namami Gange Yojana: बिहार के इस जिले को केंद्र सरकार की सौगात, नमामी गंगे और अटल मिशन के तहत मिलेगा साढ़े पांच सौ करोड़ का विकास पैकेज जनेऊ नहीं उतारा तो परीक्षा से किया बाहर, FIR के बाद बढ़ी सियासत Parenting Tips: पढ़ाई के दौरान क्यों आती है बच्चों को नींद? ये काम करें; दूर हो जाएगी परेशानी Bihar politics: बहुमत है, पर नैतिकता नहीं', बीजेपी पर बरसे मनोज झा, वक्फ कानून की वापसी की उठाई मांग!
RANCHI: झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता से बाहर ही नहीं हुई बुरी तरह से हार भी गई हैं. इस हार का कारण लोकसभा चुनाव में शानदार बहुमत मिलने के बाद बीजेपी की लालच रही है. लालच के कारण बीजेपी ने सरकार में सहयोगी रहे आजसू को गठबंधन में सीटें नहीं दी, जिससे आजसू ने अकेले चुनाव लड़ा. दूसरा कारण रघुवर दास का रवैया रहा है. जिसके कारण भाजपा नेता के साथ ही उनके समर्थक की नाखुश थे.
रघुवर के रवैया से नाराज थे कार्यकर्ता
रघुवर दास पर तानाशाह का आरोप तो पहले ही जेएमएम लगा चुकी थी. फिर भी उनका रवैया ठीक नहीं था. जिसके कारण बीजेपी के नेता उनसे खुश नहीं थे. यही कारण रहा की मंत्री सरयू राय समेत कई नेता उनसे नाराज चल रहे थे. सरयू तो खुलकर विरोध में आए, लेकिन पर्दे के पीछ रहने वाले नाराज नेताओं ने खेल कर दिया. जिसका खामियाजा रघुवर को एक बार फिर सीएम की कुर्की के पद खोना पड़ा.
लालच में दे दिया 65 पार का नारा
इस साल हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने 11 सीटें जीती और उनकी सहयोगी दल आजसू ने 1 सीट पर दर्ज की थी. यहां पर कुल 14 सीटें थी. लेकिन कुछ माह के बाद ही यहां पर बीजेपी की बुरी तरह से हार हुई है. इसका कारण अधिक लालच रहा है. बीजेपी ने इस बार 65 पार का नारा दिया था. इस 65 पार के चक्कर में अपने सहयोगी पार्टियों को भी किनारा कर दिया. अंत में आजसू अकेले 40 से अधिक सीटें पर चुनाव लड़ी. लोजपा को भी बीजेपी ने भाव नहीं दिया तो लोजपा भी अकेले चुनाव मैदान में उतर गई. जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा है.