NAWADA : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक गणेश शंकर विद्यार्थी का निधन हो गया है. बिहार की राजधानी पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वे बिहार के नवादा जिले के रजौली के रहने वाले थे. उनके निधन की खबर मिलते ही उनके शुभचिंतकों और उनके स्वजनों में शोक की लहर छा गई. इसके बाद सभी लोग उनके अंतिम दर्शन करने के लिए जुटने लगे.
फिलहाल उनका पार्थिक शरीर रजौली नहीं पहुंचा है. उनका अंतिम संस्कार पटना में होगा या रजौली में, अभी कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है. गणेश शंकर विद्यार्थी 97 वर्ष की उम्र में भी लोगों के लिए सेवा भावना से काम करने को तत्पर रहते थे. कोई भी व्यक्ति उनके दरवाजे पर अगर पहुंचता था तो वे मना नहीं करते थे. लाठी के सहारे पर चलते हुए वह किसी बाबू के ऑफिस में पहुंच जाते थे और उनके साथ गए लोग बाबू के ऑफिस में उनका आदर और सम्मान देखकर गदगद हो जाते थे. काम हो या ना हो, लेकिन उनको जो सम्मान पूरे बिहार में मिलता था, इससे सभी लोग संतुष्ट रहते थे.
गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म रजौली में वर्ष 1924 हुआ था. उनका परिवार इलाके में काफी प्रतिष्ठित था. बताया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी वर्ष 1952 से ही राजनीति में आए थे. उनका पूरा परिवार कांग्रेसी था, परिवार में वह इकलौते ऐसे शख्स थे जो कम्युनिस्ट पार्टी के साथ खड़े होकर अंतिम सांस तक चलते रहे. उन्होंने 12 बार चुनाव लड़ा, जिसमें दो बार ही उन्हें जीत मिली थी. नवादा विधानसभा क्षेत्र से 1977 और 1980 में उन्हें जीत मिली थी. बताया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी अल्प आयु से ही लोगों के लिए काम करना चाहते थे.