SAMASTIPUR: बिहार में मुसलमानों को लेकर सियासत कोई नई बात नहीं है। बिहार की राजनीति में कुछ को छोड़ दें तो जितने भी सियासी दल है सभी मुसलमानों को वोट बैंक की तरह देखते हैं और उन्हें रिझाने की भरपूर कोशिश करते हैं। जन सुराज यात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने बिहार में मुसलमानों की हालत को लेकर महागठबंधन की सरकार पर जोरदार हमला बोला है और खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हिमायती बताने वाले नीतीश और तेजस्वी के दावों की पोल खोल दी है।
दरअसल, चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर इन दिनों समस्तीपुर के विभिन्न पंचायतों को दौरा कर केंद्र और राज्य सरकार की नाकामी के बारे में लोगों को जानकारी दे रहे हैं। पदयात्रा के दौरान पीके शुक्रवार को समस्तीपुर के कसौर गांव पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने राज्य के दलितों और मुसलमानों की हालत को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला बोला।
प्रशांत किशोर ने नीतीश-तेजसवी की सरकार पर दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि जनगणना के मुताबिक बिहार के 13 करोड़ लोग देश में सबसे गरीब और पिछड़े हैं। यह जानकारी बिहार की सरकार के पास भी है लेकिन सरकार इसे नहीं सुधार रही है। दलितों की जनगणना आजादी के बाद से हो रही है लेकिन उनकी दशा सुधारने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए। मुसलमानों की जनगणना भी हुई लेकिन उनकी हालत क्यों नहीं सुधर रही है?
उन्होंने कहा कि बिहार में आज दलितों के बाद मुसलमानों की हालत सबसे ज्यादा खराब है पर लेकिन कोई इसपर बात करने को तैयार नहीं है। पीके ने कहा कि बिहार की सरकार जातीय गणना के नाम पर लोगों को भरमा रही है। सरकार चाह रही है कि बिहार के आधे लोगों गणना के पक्ष में खड़े हो जाएं और आधे उसका विरोध करें ताकि यह कोई पूछने वाला नहीं रहे कि बिहार में पढ़ाई हो रही है या नहीं, लोगों को नौकरी मिल रही है या नहीं? नीतीश कुमार जाती के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंक कर एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन जाएंगे।