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1st Bihar Published by: Updated Sun, 28 Feb 2021 07:24:30 AM IST
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PATNA : बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को मायूसी हाथ लगी थी। तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री बनने का सपना पाले बैठे थे लेकिन बहुमत से महागठबंधन दूर रह गया। तेजस्वी ने हार के बाद नीतीश सरकार पर चुनाव नतीजों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया उस वक्त पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तेजस्वी के साथ आ खड़ी हुई थीं। ममता बनर्जी ने बिहार चुनाव नतीजों के बाद तेजस्वी यादव से बातचीत भी की थी और उन्हें बीजेपी और एनडीए के खिलाफ लड़ने का दिलासा भी दिया था।
बिहार में चूकने के बाद तेजस्वी यादव ने बंगाल की तरफ रुख किया और इस बात के संकेत दे दिए कि तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर वह बीजेपी को हराने की कोशिश करेंगे। तेजस्वी यादव ने तृणमूल से गठबंधन के लिए अपने दो नेताओं को पश्चिम बंगाल भी भेजा था। अब्दुल बारी सिद्धकी और श्याम रजक ममता से मुलाकात करने कोलकाता भी गए लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी से आरजेडी के नेताओं की मुलाकात हुई लेकिन तृणमूल से गठबंधन पर बात नहीं बन सकी। ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लंबे अरसे से पश्चिम बंगाल में डेरा जमाए बैठे हैं। बीजेपी को मात देने के लिए टीके ने ममता दीदी के लिए पूरी चुनावी प्लानिंग की है। जानकार बताते हैं कि ममता बनर्जी फिलहाल चुनाव को लेकर जो भी फैसला कर रही हैं उसमें अभिषेक बनर्जी और प्रशांत किशोर की भूमिका सबसे खास है। ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आरजेडी का तृणमूल से गठबंधन नहीं होने के पीछे प्रशांत किशोर की तरफ से दिया गया फीडबैक भी महत्वपूर्ण रहा होगा।
तेजस्वी की राष्ट्रीय जनता दल लेफ्ट और कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ने की तैयारी में है। आरजेडी को बहुत ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का मौका नहीं मिलेगा बावजूद इसके तेजस्वी बंगाल में बीजेपी का विरोध कर खुश हो सकते हैं। सियासी जानकार मानते हैं कि पश्चिम बंगाल में इस बार ममता बनर्जी का सीधा मुकाबला बीजेपी से है। ऐसे में अगर तेजस्वी तृणमूल के साथ गठबंधन में खड़े होते तो बीजेपी के खिलाफ संघर्ष को लेकर वह बड़ा संदेश दे सकते थे लेकिन प्रशांत किशोर की प्लानिंग तेजस्वी को ममता खेमे से दूर कर गई। प्रशांत किशोर खुद बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी राजनीतिक संभावनाओं को तलाश रहे हैं। ऐसे में तेजस्वी पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान अपना कद बड़ा करें यह पीके कभी नहीं चाहेंगे। जाहिर है कि पीके की फिरकी ने तृणमूल के खेमे से तेजस्वी को दूर कर दिया।