फाइनली कांग्रेस से भी प्रशांत किशोर का मोहभंग: अब खुद लोगों तक जाकर जन सुराज अभियान छेड़ेंगे, बिहार से होगी शुरूआत

फाइनली कांग्रेस से भी प्रशांत किशोर का मोहभंग: अब खुद लोगों तक जाकर  जन सुराज अभियान छेड़ेंगे, बिहार से होगी शुरूआत

DELHI : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का अब कांग्रेस से भी मोहभंग हो चुका है. कुछ महीने पहले चुनावी रणनीतिकार का काम छोड़ कर सक्रिय राजनीति में आने का एलान करने वाले प्रशांत किशोर ने अब खुद लोगों के बीच जाने का फैसला कर लिया है. हालांकि फिलहाल ये साफ नहीं है कि वे नयी पार्टी बनायेंगे या नहीं. लेकिन प्रशांत किशोर ने कहा है कि वे जनता के बीच जाकर जन सुराज लाने की मुहिम छेड़ेंगे. इसकी शुरूआत बिहार से होगी.


प्रशांत किशोर ने आज ट्विटर पर इसका एलान किया है. ट्विटर पर उन्होंने लिखा है

“लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति बनाने में मदद करने की मेरी जिद के कारण मैंने दस सालों तक रोलरकोस्टर की सवारी की. अब मैंने अपनी भूमिका बदली है इसलिए अब समय आ गया है कि असली मालिक यानि कि आम लोगों के पास जाया जाये. ताकि उनके मुद्दों को सही से समझा जा सके और जन सुराज यानि जनता का बेहतर शासन का रास्ता तलाशा जा सके. इसकी शुरूआत बिहार से होगी.”

जाहिर है प्रशांत किशोर ये संकेत दे रहे हैं कि वे अपने बूते राजनीति करेंगे. यानि अब कांग्रेस से भी उनका मोहभंग हो चुका है. गौरतलब है कि पिछले एक महीने में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस आलाकमान औऱ पार्टी के सीनियर लीडर्स के साथ ताबड़तोड़ बैठकें की. प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को बदलने के लिए लंबा चौड़ा प्लान भी सामने रखा. लेकिन कांग्रेस उनकी शर्तों को मानने को तैयार नहीं हुई. वैसे कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया था. लेकिन प्रशांत किशोर उस ऑफर से संतुष्ट नहीं हुए. हालांकि कांग्रेस ने भी पहले ही संकेत दे दिये थे कि वह प्रशांत किशोर को किसी निर्णायक भूमिका में पार्टी में शामिल नहीं कराने जा रही है. 

अब ये साफ हो गया है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने नहीं जा रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस से भी पहले ही उनका मोहभंग हो चुका है. प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी की पार्टी को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देश में खडा करने की कोशिश की थी. उनकी रणनीति के तहत तृणमूल कांग्रेस ने गोवा समेत देश के कई दूसरे राज्यों में आक्रामक राजनीति की थी लेकिन जब विधानसभा चुनाव हुए तो टीएमसी और प्रशांत किशोर की रणनीति औंधे मुंह गिर गयी. उसके बाद से ही पीके के संबंध तृणमूल कांग्रेस से बिगड़ने की चर्चा थी.


बिहार में पहले भी कर चुके हैं असफल प्रयोग

वैसे प्रशांत किशोर बिहार में अपने बूते राजनीति करने का पहले भी असफल प्रयोग कर चुके हैं. 2020 की शुरूआत में उन्होंने बिहार में अपनी मुहिम बात बिहार की शुरू की थी. प्रशांत किशोर ने कहा था कि उस मुहिम के जरिये वे युवाओं को गोलबंद करेंगे ताकि बिहार अगले 10 सालों में देश के टॉप स्टेट में शामिल हो सके. लेकिन उनकी ये मुहिम फ्लॉप हो गयी और कुछ ही महीनों में इसका नामो निशान मिट गया था. 

उससे पहले भी प्रशांत किशोर जेडीयू से जुड़े थे. वे जेडीयू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये थे. लेकिन उन्हें बड़े बेआबरू होकर नीतीश कुमार की पार्टी से निकलना पड़ा था. प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर भाजपा का पिछलग्गू करार दिया था. इसके बाद उन्हें जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. हालांकि इन दिनों वे फिर से नीतीश कुमार से मिले थे. चर्चा ये हुई थी कि वे नीतीश कुमार को विपक्षी पार्टियों की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का ऑफर दे रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार ने इस चर्चा को सिरे से खारिज कर दिया था. 

ऐसे में देखना होगा कि प्रशांत किशोर की नया जन सुराज अभियान किस हद तक सफल हो पाता है. प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि वे जनता के बीच सीधे जायेंगे. लेकिन ये क्लीयर नहीं कर रहे हैं कि क्या वे कोई नयी पार्टी बनाने जा रहे हैं या फिर उनका अभियान गैर राजनीतिक होगा.