प्राचीन चिकित्सा तकनीक से संभव होगा कोरोना का इलाज ! WHO ने ट्रायल का किया समर्थन

प्राचीन चिकित्सा तकनीक से संभव होगा कोरोना का इलाज ! WHO ने ट्रायल का किया समर्थन

DESK :  दुनियाभर के देश कोरोना के लिए वैक्सीन और इसकी दवा खोजने में लगे हैं। इसी क्रम में अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर्बल दवाओं के ट्रायल को मंजूरी देने की सोच रहा है। यदि यह प्रयास  सफल हो गया तो दुनियाभर में कोरोना इलाज के लिए प्राचीन दवाओं का भी उपयोग किया जा सकेगा। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि "यदि कोई पारंपरिक चिकित्सा उत्पाद सुरक्षित और प्रभावी तरीके से इलाज करने का दावा करता है,  तो WHO एक बड़े पैमाने पर लोकल मेन्यूफेक्चरिंग के लिए इसकी सिफारिश करेगा। बसरते इस दवा को सभी सुरक्षा पैमाने पर खड़ा होना होगा.  


WHO से दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने कोरोना इलाज के लिए हर्बल दवा पर ट्रायल करने की अनुमति मांगी थी,  जिस पर डब्ल्यूएचओ ने हामी भर दी है। अब जल्द ही इस दवा का ट्रायल किया जाएगा। डब्ल्यूएचओ का यह बयान मेडागास्कर देश के राष्ट्रपति द्वारा आर्टीमीसिया पर आधारित एक ड्रिंक को बढ़ावा देने के बाद आया है। यह हर्बल प्लांट मलेरिया के उपचार में प्रभावी सिद्ध हुआ है। राष्ट्रपति ने खुद यह ड्रिंक पीकर जनता के सामने दिखाई थी। 


WHO के रीजनल डायरेक्टर प्रॉस्पर टुमुसीम ने रॉयटर्स को कहा कि 'हम अभी देख रहे हैं कि प्राचीन मेडिकल प्रोडक्ट सुरक्षा, प्रभाव और गुणवत्ता के पैमाने पर खरा उतरता है या नहीं। अगर ऐसा हुआ तो WHO इसके ट्रायल को और बड़े पैमाने पर निर्माण की सिफारिश करेगा। उन्होंने आगे कहा कि अफ्रीका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन और अफ्रीकन यूनियन कमीशन फॉर सोशल अफेयर हमारे सहयोगी हैं और हम मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। 


इधर, भारत सरकार ने देश में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए ‘पोस्ट कोविड-19 मैनेजमेंट प्रोटोकॉल’ जारी किया है। इस प्रोटोकॉल में मरीज की रिकवरी और कॉम्यूनिटी लेवल पर वायरस की रफ्तार को कम करने के तरीके बताए जा रहे हैं.