DELHI: देशभर के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे-बच्चियों के लिए प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना बड़ा वरदान साबित होने वाली है। देश के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे, जो पैसों की तंगी के कारण उच्च शिक्षा हासिल करने से वंचित रह जाते थे और उनके सपने दम तोड़ देते थे, अब ऐसे गरीब बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी पहल की है।
आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में पैसों की होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना की शुरुआत की है, जो उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आने वाली वित्तीय समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होगी। केंद्र सरकार ने यह योजना ऐसे परिवारों के लिए शुरू की है, जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये या उससे कम है। इसके तहत छात्रों को 10 लाख रुपये तक का शिक्षा लोन प्रदान किया जाएगा, साथ ही ब्याज पर सब्सिडी की सुविधा भी दी जाएगी।
इस योजना के तहत छात्र 10 लाख रुपये तक का शिक्षा लोन ले सकते हैं। यह राशि छात्रों को उनकी पढ़ाई के दौरान ट्यूशन फी, हॉस्टल खर्च, किताबें, लैपटॉप, और अन्य शैक्षणिक खर्चों के लिए मिलेगी। वहीं जिन छात्रों की पारिवारिक आय 4.5 लाख रुपये तक है, उन्हें शिक्षा लोन पर पूरी तरह से ब्याज छूट मिलेगी। वहीं जिनकी आय 4.5 लाख से 8 लाख रुपये के बीच है, उन्हें 3% ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलेगा।
हर साल करीब 1 लाख छात्रों को इस योजना का लाभ मिलने की उम्मीद है। यदि आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या 1 लाख से कम होती है, तो सभी पात्र छात्रों को योजना का लाभ दिया जाएगा। वैसे छात्र जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये या उससे कम है, तकनीकी, व्यावसायिक या उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश लेना चाहते हैं, जो आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई करना चाहते हैं, यह योजना विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है।
प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना के तहत उन छात्र-छात्राओं को प्राथमिकता दी जाएगी जो सरकारी संस्थानों में दाखिला लेने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हर साल लगभग एक लाख छात्रों को इस ब्याज छूट का लाभ मिलने की उम्मीद है। यदि आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या एक लाख से कम होती है, तो सभी पात्र छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। बता दें कि प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी योजना केंद्र सरकार का एक ऐसा कदम है, जो देश के लाखों छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।