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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Oct 2024 10:23:00 AM IST
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PATNA : देश में बहुत जल्द जनगणना होने जा रही है और उसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने घर बैठे ही डेथ और बर्थ के रजिस्ट्रेशन के लिए एक ऐप लॉन्च किया। इस ऐप का नाम CRS है। इस ऐप के लॉन्च के दौरान अमित शाह ने कहा, यह एप्लिकेशन नागरिकों को किसी भी समय, किसी भी स्थान से और उनके राज्य की आधिकारिक भाषा में पंजीकरण करने की अनुमति देती है।
वहीं, इस एप के लॉन्चिंग के साथ ही राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आखिरकार पीएम मोदी ने एनडीए के सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात मान ली है। क्योंकि पिछले कई साल से सीएम नीतीश कुमार देश के अंदर जनगणना कराए जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन किसी न किसी वजह से उनकी यह मांग पूरी नहीं हो पाती थी। लेकिन, अब एप लॉन्चिंग के साथ ही कहीं न कहीं उनकी यह मांग पूरी होतो नजर आ रही है।
सेंसस इंडिया 2021 (Census India 2021) के आधिकारिक हैंडल से बताया गया है कि इस ऐप के जरिए जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जाएगा। प्रक्रिया के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को जन्म या मृत्यु संबंधी जानकारी और रजिस्ट्रेशन बर्थ या डेथ के 21 दिन के अंदर ऐप पर करना होगा। ऐप के मुताबिक, अगर आप 21 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं तो फिर अतिरिक्त शुल्क देना होगा।इसके लिए देश के किसी भी आम आदमी को 22 से 30 दिनों के अंदर 2 रुपये शुल्क देना होगा और 31 दिन से एक साल तक 5 रुपये की लेट फीस जमा करानी होगी। इसी के साथ-साथ ज्यादा पुराने प्रमाण पत्रों के लिए 10 रुपये का शुल्क तय किया गया है यानि अधिकतम विलंब शुल्क 10 रुपये होगा।
देश में जनगणना कराने को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है। जनगणना में सूचना एकत्र करने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल भी किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि पहली बार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) बनने जा रहा है। जिससे देश की कानून व्यवस्था में सुधार होगा और देश के विकास को नई राह मिलेगी। हालांकि, अभी तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि जनसंख्या गणना कब शुरू होगी और इसका क्या फॉर्मेट होगा।
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार देश के अंदर जनगणना करवाने कि मांग कर रहे हैं। जेडीयू के कई अन्य नेता भी केंद्र सरकार पर जनगणना कराने का जोर दे रहे थे। ताकि गरीब और पिछड़े तबके के लोगों को मुख्य धारा में लाया जा सके। बता दें कि पिछले साल बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का दायरा 75 फीसदी तक बढ़ा दिया गया। साथ ही नीतीश सरकार गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता करने की योजना भी लेकर आई।