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अटल टनल का PM मोदी ने किया उद्घाटन, 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है टनल

1st Bihar Published by: Updated Sat, 03 Oct 2020 10:49:02 AM IST

अटल टनल का PM मोदी ने किया उद्घाटन, 15 हजार फीट की ऊंचाई पर बना है टनल

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DESK: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज रोहतांग में अटल टनल का उद्घाटन किया है. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेता और सेना के अधिकारी मौजूद रहे. यह टनल दुनिया की सबसे लंबी टनल है. इसकी लंबाई 9 किमी से अधिक है. 


पीएम मोदी ने कहा कि साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था.  एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था. अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता. 


पीएम मोदी ने कहा कि साल 2005 में ये आंकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी. लेकिन लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है. कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती. अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है कोसी महासेतु का. बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था. लेकिन इसका काम भी उलझा रहा, अटका रहा.  2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया. 



टनल की खास बातें

अटल टनल में प्रति एक किलोमीटर पर हवा की गुणवत्ता की निगरानी होती है. सुरंग के भीतर प्रसारण की प्रणाली भी है और हर 250 मीटर पर किसी भी घटना का स्वचालित ढंग से पता लगाने वाली सीसीटीवी कैमरों की प्रणाली है. यह लाहौल और स्पीति वैली के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो भारी बर्फबारी के दौरान हर साल सर्दी में करीब छह महीने के लिए देश के शेष हिस्से से कट जाता था. 

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्व की सुरंग बनाए जाने का फैसला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान 3 जून 2000 को लिया गया था. अटल टनल हिमाचल प्रदेश में मनाली के पास समुद्रतल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ को भेदकर बनाई गई है.