PATNA : पिछले 2 वर्षों में देश के अंदर कोरोना महामारी ने विपरीत परिस्थितियों को खड़ा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे में आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया था. पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बिहार के युवा उद्यमी और बीजेपी के नेता ऋतुराज सिन्हा ने अपना कार्य संकल्प बना लिया. ऋतुराज सिन्हा ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की राह पर चलते हुए ना केवल अपनी कंपनी SIS को ऊंची पायदान पर पहुंचाया बल्कि बिहार के युवाओं के लिए अपनी कंपनी में बड़े अवसर भी उपलब्ध कराएं. ऋतुराज सिन्हा की ही पहल का असर है कि आज तक SIS जैसी कंपनी में 32 हजार से ज्यादा बिहारी युवा स्थाई तौर पर रोजगार कर रहे हैं.
आत्मनिर्भर भारत अभियान के पैटर्न पर काम कर रही कंपनियों की लिस्ट में SIS ने अपनी जगह मजबूती के साथ बनाई है. SIS लगातार इस अभियान में आगे की तरफ बढ़ रहा है. बिहार से आने वाली एकमात्र मल्टीनेशनल कंपनी SIS से जो ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों से भी संचालित होता है. देश के हर राज्य में इसका अपना कॉरपोरेट विंग है. साथ ही साथ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड SIS जैसी कंपनी का हेड क्वार्टर आज भी पटना है. आंकड़ों के लिहाज से अगर बात करें तो SIS बिहार में निजी क्षेत्र से आने वाली सबसे बड़ी एंपलॉयर कंपनी है. प्रोविडेंट फंड रिकॉर्ड के आधार पर बिहार में सबसे ज्यादा रोजगार क्षेत्र में इसी कंपनी ने मुहैया कराए हैं.
70 के दशक में SIS की स्थापना बीजेपी के सांसद रह चुके आरके सिन्हा ने की थी. लेकिन पिछले दो दशक से इसका नेतृत्व उनके बेटे ऋतुराज सिन्हा कर रहे हैं. इस कंपनी का प्रदर्शन कितना बेहतर है इस बात को अगर समझना हो तो ग्रेट प्लेस ऑफ वर्क इन फ्यूचर की तरफ से जारी रैंकिंग को देखा जा सकता है. इस रैंकिंग में देश की सबसे बड़ी सुरक्षा कंपनी SIS को उन 15 बड़ी कंपनियों में शामिल किया गया है जो राष्ट्र निर्माण का काम कर रही है.
कोरोना महामारी के बीच एक तरफ जहां लोगों का रोजगार छिन रहा है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को देखते हुए ऋतुराज सिन्हा ने यह फैसला किया कि बिहारी युवाओं को अब कंपनी में ज्यादा अवसर मुहैया कराए जाएंगे. SIS मैनेजमेंट ने यह फैसला किया है कि बिहार में अब नियुक्ति की तादाद बढ़ाई जाएगी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ऋतुराज सिन्हा अपने प्रदेश को लेकर लगाओ महसूस करते हैं. बिहार प्रदेश से आने वाले युवाओं को भर्ती अभियान में प्राथमिकता देने का फैसला इसलिए किया गया है.