PATNA: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल पर जेडीयू ने बड़ा निशाना साधा है। जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. सुनील कुमार और प्रवक्ता अभिषेक झा ने प्रधानमंत्री मोदी के गुजरात मॉडल पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि विकास के जिस मॉडल के सहारे वर्ष 2014 में बीजेपी केंद्र की सत्ता में आयी थी, उसका ढोल अब फूट चुका है। यही कारण है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने इसका नाम तक नहीं लिया।
दोनों जेडीयू प्रवक्ताओं ने विभिन्न स्वास्थ्य मानकों की तुलना देश के एक धनी प्रदेश गुजरात के साथ तथाकथित पिछड़े राज्य बिहार से करते हुए कहा कि आँकड़े चौकाने वाले हैं। वर्ष 2019-21 के नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार स्वास्थ्य सम्बन्धी कई आँकड़ों में बिहार ने गुजरात से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। इन चौकाने वाले आंकड़ों में कुछ प्रमुख हैं- कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की संख्या, सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाले महिलाओं का अनुपात आदिl
जेडीयू प्रवक्ताओं ने कहा है कि बिहार का यह बेहतर प्रदर्शन नीतीश कुमार की इच्छा शक्ति, ढृढ़ निश्चय और बिहार की जनता के प्रति सेवा भाव का परिणाम है, न कि धन के बदौलत। वर्ष 2004-05 में बिहार में कुपोषित/कम वजन वाले बच्चों का अनुपात 27 था जिसे नीतीश सरकार ने पटरी पर लाते हुए उस अनुपात को आज 22.9 प्रति एक हज़ार बच्चे पर पहुंचाया है। वर्ष 2004-05 तक बिहार की गर्भवती महिलाओं द्वारा अँटेंटल केयर की सुविधा प्राप्त करने वालों का अनुपात 34% था जो 2019-20 तक बढ़कर ये 52.9% पर पहुँच गया है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-05 तक बिहार के पास मात्र तीन मेडिकल कॉलेज थे और एक भी नर्सिंग कॉलेज नहीं था। पर आज बिहार में पंद्रह मेडिकल कॉलेज हैं और सभी मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग की भी पढ़ाई होती है। सभी ज़िले में कम से कम एक नर्सिंग कॉलेज चल रहा है। इसके अलावा पाँच स्वतंत्र नर्सिंग कॉलेज भी खोले जा चुके हैं। बिहार जनसंख्या अनुपात की दृष्टि से कुल डॉक्टरों की संख्या में भी झारखंड, राजस्थान, छतीसगढ़, हिमांचल, गुजरात, हरियाणा, पंजाब आदि कई राज्यों से आगे है।
प्रवक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा शक्ति ही थी कि गरीब राज्य होने के बावजूद इन सब के अलावे बिहार ने कोरोना महामारी के दौरान कोरोना से अपनी जान गंवा चुके राज्य के नागरिकों को सर्वाधिक 4 लाख रुपया आर्थिक सहायता के रूप में दिया। जबकि केंद्र सरकार ने मात्र 50 हजार रुपया दिया वो भी सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. सुनील कुमार एवं प्रवक्ता अभिषेक झा ने प्रधानमंत्री के गुजरात मॉडल पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि विकास के जिस मॉडल के सहारे वर्ष 2014 में भाजपा केंद्र की सत्ता में आयी थी, उसका ढोल फूट चुका है और यही कारण है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इसका नाम तक नहीं लिया।
दोनों प्रवक्ताओं ने विभिन्न स्वास्थ्य मानकों की तुलना देश के एक धनी प्रदेश गुजरात के साथ तथाकथित पिछड़े राज्य बिहार से करते हुए कहा कि आँकड़े तो चौकाने वाले हैं। वर्ष 2019-21 के नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार स्वास्थ्य सम्बन्धी कई आँकड़ों में बिहार ने गुजरात से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। इन चौकाने वाले आंकड़ों में कुछ प्रमुख हैं- कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की संख्या, सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने वाले महिलाओं का अनुपात आदिl