PK पर हमला बोलने के चक्कर मांझी–पारस की हैसियत बता गए सुशील मोदी, NDA में मचेगा बवाल

PK पर हमला बोलने के चक्कर मांझी–पारस की हैसियत बता गए सुशील मोदी, NDA में मचेगा बवाल

PATNA : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राजनीति में एंट्री को लेकर जो संकेत दिया उसके बाद जब बिहार की सियासत में हलचल मची है। पीके की पॉलिटिकल एंट्री को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रिया देखने को मिली है। हालांकि जेडीयू ने फिलहाल इस मामले पर चुप्पी नहीं तोड़ी लेकिन बीजेपी के सांसद और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने प्रशांत किशोर को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सुशील मोदी ने पीके पर निशाना साधने के चक्कर में अपने ही घटक दल के नेताओं को उनकी हैसियत बता डाली है।


दरअसल पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार में मुख्यधारा के चार दलों के अलावा किसी नई राजनीतिक मुहिम का कोई भविष्य नहीं है। सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि लोकतंत्र में किसी को भी राजनीतिक के प्रयोग करने या दल बनाने की पूरी आजादी है। इसलिए देश में सैकड़ों दल पहले से हैं, अब इस भीड़ में यदि कोई अति महत्वकांक्षी व्यक्ति एक नई नहर बनाना चाहता है तो इससे सदाबहार नदियों को क्या फर्क पड़ेगा¡ सुशील मोदी ही प्रशांत किशोर के ऊपर निशाना साधा हो बिहार में बीजेपी के साथ एनडीए में शामिल छोटे घटक दलों को उनकी इस बात से ठेस पहुंच सकती है। दरअसल मोदी प्रशांत किशोर पर हमला बोलते–बोलते जाने अनजाने में जीतन राम मांझी और पशुपति कुमार पारस जैसे छोटे घटक दल के नेताओं को उनकी हैसियत बता गए हैं। 


इतना ही नहीं सुशील कुमार मोदी ने प्रशांत किशोर को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। सुशील मोदी ने कहा है कि जनता के मन मस्तिष्क में गहरे स्थापित किसी राजनीतिक दल के लिए चुनावी रणनीति बनाना, नारे पोस्टर और घोषणा पत्र बनाना, मदद करना या अभियान को बहुत पेशेवर ढंग से पूरा कर लेना एक बात है.. लेकिन करोड़ों लोगों की आकांक्षा पर खरे उतरने वाली राजनीति करना बिल्कुल अलग बात है. सुशील मोदी ने कहा है कि जिन को सालों तक अलग-अलग पार्टी के साथ अलग-अलग राज्यों में काम करने के बावजूद जनता का मुद्दा समझ में नहीं आया, वह अकेले क्या तीर मार लेंगे? सुशील मोदी ने भले ही निशाना पीके पर साधा हो लेकिन मांझी और पारस जैसे नेताओं को तीर चुभा होगा। अब देखना होगा मोदी के इस बयान पर एनडीए में सियासी बयानबाजी तेज होती है या फिर छोटे घटक दल चुप्पी साध लेते हैं।