PATNA: बिहार में पहले से काम कर रहे 3 लाख 79 हजार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग पर हो संग्राम के बीच 10 दिन पहले नीतीश कुमार ने सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं के साथ बैठक की थी. बैठक के बाद नीतीश तो चुप रहे लेकिन कांग्रेस से लेकर वाम दलों के नेताओं ने बड़े बड़े दावे किये थे. इन नेताओं का कहना था-नीतीश जी, बहुत पॉजिटीव हैं और जल्द ही शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिल जायेगा. उसके बाद से ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि 15 अगस्त को नीतीश कुमार गांधी मैदान से नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का एलान करेंगे. लेकिन सारे कयास फेल हो गये.
नयी नियुक्ति के बाद अच्छा करेंगे
नीतीश कुमार ने आज गांधी मैदान से अपने भाषण में नियोजित शिक्षकों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को 4 हजार मिलता था, उसे उन्होंने 40 हजार तक पहुंचा दिया. अब उनके लिए और अच्छा करने का सोंच रहे हैं. पहले जो बीपीएससी से नयी बहाली हो रही है उसे हो जाने दीजिये. उसके बाद पहले से नियोजित शिक्षकों के लिए कुछ अच्छा फैसला लेंगे.
राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिलेगा
नीतीश कुमार के भाषण से एक बात तो साफ हो गयी कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं मिलने जा रहा है. राज्य सरकार उनके मानदेय में वृद्धि जैसे कुछ एलान कर सकती है. नियोजित शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग के भी कुछ नियम बनाये जा सकते हैं. लेकिन फिलहाल राज्यकर्मी का दर्जा नहीं दिया जायेगा.
क्या वाम दलों ने शिक्षकों को धोखा दिया
बिहार के नियोजित शिक्षकों ने जब राज्यकर्मी के दर्जा के लिए आंदोलन शुरू किया तो महागठबंधन में शामिल वामदलों के नेताओं ने उनका नेतृत्व हथिया लिया. माले के विधायक संदीप सौरभ नियोजित शिक्षकों के नेता बन गये. वहीं, सीपीआई के नेता भी शिक्षकों के नेता बने. वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने ये दावा कर दिया कि नीतीश कुमार शिक्षकों की मांगें मानने के लिए तैयार हैं. उसके बाद शिक्षक शांत हुए. लेकिन अब चर्चा हो रही है कि वामदलों के नेताओं ने शिक्षकों को धोखा दे दिया.