PATNA : राजधानी पटना में तेज कोरोना संक्रमण ने ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ा दी है। आंकड़ों के मुताबिक पटना में पहले से ऑक्सीजन की डिमांड 7 गुना बढ़ गई है। यही वजह है कि पटना में ना केवल कोरोना के मरीज बल्कि दूसरे रोगियों को भी ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऑक्सीजन की कमी मरीजों की जान पर भारी पड़ने लगी है।
पटना के ज्यादातर बड़े सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है और इस वजह से वहां दूसरे रोगी जाने से परहेज कर रहे हैं। राजधानी के छोटे नर्सिंग होम अन्य रोगियों के लिए इस वक्त वरदान साबित हो रहे हैं लेकिन ऑक्सीजन की कमी से इन प्राइवेट छोटे नर्सिंग होम को जूझना पड़ा है। पटना के कई प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सीजन की कमी के कारण अपने मरीजों को डिस्चार्ज या रेफर करना पड़ा है। पटना के सगुना मोड़ स्थित एक निजी नर्सिंग होम में कई मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी। इस हॉस्पिटल ने मरीजों को अपने यहां से डिस्चार्ज कर दिया। अस्पताल प्रबंधन में नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि ऑक्सीजन देने वाली एजेंसी ने उसका करार रद्द कर दिया है और ब्लैक मार्केटिंग बढ़ी है।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर पटना के एक बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल जगदीश मेमोरियल ने पटना के डीएम से शिकायत की है। अस्पताल के संचालक डॉ आलोक में पटना डीएम से ऑक्सीजन की व्यवस्था कराने की मांग रखी है। अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं होता है तो वह अपने यहां मरीजों को एडमिट नहीं ले पाएंगे। ऑक्सीजन की कमी का मामला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों तक जा पहुंचा है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और विभाग के प्रधान सचिव के साथ-साथ पटना सिविल सर्जन को भी मामले की जानकारी दी गई है।