PATNA : स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर दवाओं तक पर सरकार चाहे जो भी दावे करें लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अब तक अस्पतालों में दवा मुहैया नहीं कराई जा सकी। अस्पतालों में ब्लैक फंगस के पीड़ित मरीजों की जान पर आफत बनाई है। समय पर मरीजों को दवा की डोज नहीं मिलने के कारण एक तरफ जहां संक्रमण का खतरा बढ़ गया है तो वहीं दूसरी तरफ से दवा के इंतजार में थक चुके मरीज अब घर लौटने लगे हैं। पटना के आईजीआईएमएस और एम्स में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज हैं जिनका ऑपरेशन हो चुका है लेकिन दवा के लिए वह तड़प रहे हैं।
मरीजों को दी जाने वाली एम्फोटेरिसिन बी की जितनी जरूरत है उतनी सप्लाई नहीं हो पा रही। दवा नहीं मिलने के कारण एम्स और आईजीआईएमएस में भर्ती मरीजों की तबीयत बिगड़ने लगी है जबकि पीएमसीएच में कई मरीज दवा नहीं मिलने के कारण अस्पताल छोड़ कर घर लौटने लगे हैं। सर्जरी के बाद जिस दवा का कोर्स 14 दिन चलना है उसके इंतजार में मरीजों को महीने भर अस्पताल में रहना पड़ रहा है। पीएमसीएच में दवा नहीं मिलने के कारण रविवार को दो मरीज अस्पताल छोड़कर लौट गए। मोतिहारी की रहने वाली तनुश्री और ललिता देवी ने अस्पताल छोड़ना ही बेहतर समझा। उधर पटना के आईजीआईएमएस में 2 नए मरीजों को रविवार को भर्ती कराया गया। अब यहां कुल मरीजों की संख्या 104 हो गई है।
उधर पटना एम्स के डॉक्टरों का भी कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों को केवल दवा के अभाव में ही ज्यादा दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ रहा है। 14 दिनों तक हर दिन 6 वायल।का डोज एक मरीज को देना होता है लेकिन दवा की कमी के कारण इन मरीजों को एम्फोटेरिसिन बी की बजाए कई बार पोसकोनजोल या फिर अन्य दवाएं देनी पड़ रही हैं। ऐसे में 14 दिन की बजाय एक मरीज को 20 से 22 दिन तक वार्ड में भर्ती रखना पड़ रहा है।