PATNA: बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी और कई विभागों के अपर मुख्य सचिव का जिम्मा संभाल रहे डॉ एस. सिद्धार्थ आज अचानक से पटना के गर्दनीबाग स्लम बस्ती में पहुंच गये. स्लम बस्ती में पहुंचे डॉ सिद्धार्थ ने घरों के दरवाजों पर दस्तक देना शुरू कर दिया. इतने बड़े अधिकारी को स्लम एरिया में देखकर वहां के लोग हैरान थे. लोग जुटे और फिर एस. सिद्धार्थ ने उनसे पूछताछ शुरू कर दी. पूरा मामला ऐसा है कि बिहार के करीब पांच लाख शिक्षकों की नींद उड़ जायेगी.
बच्चे स्कूल क्यों नहीं गये?
दरअसल पिछले महीने केके पाठक के शिक्षा विभाग से हटने के बाद डॉ एस. सिद्धार्थ ने शिक्षा महकमे के अपर मुख्य सचिव का जिम्मा संभाला है. वे अपने तरीके से शिक्षा विभाग और सरकारी स्कूलों को दुरूस्त करने में लगे हैं. पटना के गर्दनीबाग स्लम एरिया में उनके पहुंचने का मकसद भी यही था. डॉ एस. सिद्धार्थ ने स्लम एरिया में स्कूली बच्चों की खोजबीन शुरू कर दी. वहां जितने बच्चे मिले उनसे ये पूछा जाने लगा कि स्कूल क्यों नहीं गये हो.
डॉ एस. सिद्धार्थ ने बच्चों के साथ साथ उनके माता-पिता से भी पूछताछ की. बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजा. क्या स्कूल में कोई परेशानी है. अगर नहीं तो फिर बच्चे घर पर क्यों नहीं है. वे गार्जियन को ये समझा भी रहे थे कि अगर बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगे तो उनका नुकसान होगा.
स्कूल भी पहुंचे अपर मुख्य सचिव
स्लम एरिया के निरीक्षण के बाद डॉ एस. सिद्धार्थ वहां बने सरकारी स्कूल में भी पहुंच गये. सरकारी स्कूल का गेट बंद था. उसे खुलवाया गया. क्लास रूम में मैडम और बच्चे मौजूद दिखे. अपर मुख्य सचिव ने बच्चों को बिना ड्रेस का देखा तो मैडम से पूछा कि ड्रेस कहां है. शिक्षिका ने कहा कि बच्चों को स्कूल ड्रेस के लिए पैसा दे दिया जाता है लेकिन वे कपड़े नहीं बनवाते. बच्चों से भी पूछताछ की गयी कि वे ड्रेस पहन कर क्यों नही आ रहे हैं. बच्चों ने कहा-गर्मी लगती है.
इसके बाद डॉ एस. सिद्धार्थ ने स्कूल में बिजली और पंखे को लेकर छानबीन शुरू की. स्कूल में बच्चों को पंखे की हवा मिल रही है या नहीं इसे लेकर शिक्षिका और प्रधान शिक्षक से पूछताछ की गयी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बच्चों की कॉपी भी चेक की. बच्चों को क्या पढ़ाया जा रहा है, इस बारे में भी जानकारी ली गयी.
शिक्षकों के बीच हड़कंप
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस. सिद्धार्थ के एक्शन से बिहार के करीब पांच लाख शिक्षकों में हड़कंप है. दरअसल केके पाठक की शिक्षा विभाग से विदाई के बाद उन्हें लग रहा था कि पुराने दिन लौट आये हैं. अब स्कूल से गायब रहने की सुविधा मिल जायेगी. लेकिन आईआईटी से पढ़े एस. सिद्धार्थ ने शिक्षकों और स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई की अलग व्यवस्था की है. टेक्नीकल तरीके से शिक्षकों की निगरानी का इंतजाम किया जा चुका है. इसके बाद वे सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि बस्तियों में भी जाकर सरकारी स्कूलों की स्थिति की जानकारी ले रहे हैं. जाहिर है, शिक्षकों की सारी खुशी हवा हो गयी है.