PATNA : बिहार में शराबबंदी कानून की वजह से न्यायपालिका पर काम के दबाव की बात अक्सर सामने आती रहती है। देश के चीफ जस्टिस से लेकर पटना हाईकोर्ट तक ने इसपर सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जब मामला पहुंचा उसके बाद नीतीश सरकार ने यह हलफनामा दायर दिया था कि बिहार में शराबबंदी कानून के अंदर बदलाव किया जा रहा है। बजट सत्र के दौरान यह संशोधन पास भी कराया गया लेकिन पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून की वजह से जो दबाव कोर्ट पर है और जो मामले लंबित हैं उसको लेकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया।
पटना हाईकोर्ट में बुधवार को सरकार की तरफ से महाधिवक्ता ललित किशोर ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार एक्साइज एक्ट को खत्म नहीं करने जा रही, हालांकि इसमें संशोधन के जरिए कानून के प्रावधानों का सरलीकरण जरूर किया गया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन से पता नहीं समस्या का समाधान कैसे होगा? कोर्ट ने सरकार को संशोधन की एक प्रति पेश करने के लिए कहा है। महाधिवक्ता ललित किशोर ने भी कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह सोमवार को संशोधन की प्रति कोर्ट में पेश कर देंगे।
इतना ही नहीं महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। कोर्ट ने एक्साइज कोर्ट की स्थापना की स्थिति के बारे में जानकारी ली है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य में उत्पाद कानून से संबंधित मामले बड़ी संख्या में लंबित है लेकिन कोर्ट के गठन और उनकी सुविधाओं को उपलब्ध कराने की रफ्तार धीमी है। इस मामले में सोमवार यानी 25 अप्रैल को हाईकोर्ट अगली सुनवाई करेगा।