PATNA : महामारी के इस दौर में स्वास्थ्य सेवा को बहाल रखना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन पटना एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एम्स प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर सोमवार तक उनकी लंबित मांगे नहीं मानी गई तो वह हड़ताल पर चले जाएंगे। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि अगर 24 मई तक अस्पताल प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वह काम ठप कर देंगे। पटना एम्स में 300 रेजिडेंट डॉक्टर हैं और अगर इन्होंने काम बंद कर दिया तो कोरोना महामारी के बीच यह सबसे बड़ा संकट होगा।
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विनय कुमार ने बताया है कि पटना एम्स में स्वास्थ्य सेवा को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर से हमेशा से सक्रिय रहे हैं लेकिन उनकी मांगों पर एम्स प्रशासन विचार नहीं कर रहा है। लिहाजा अब सोमवार से काम ठप करने का फैसला किया गया है। महामारी के बीच रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काम ठप करने की चेतावनी देकर एम्स प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें अस्पताल में ही बेड मुहैया नहीं कराया जा रहा। एसोसिएशन की मांग है कि एम्स में ऑक्सीजन युक्त 20 बेड और आईसीयू में कम से कम दो-तीन बेड एम्स के डॉक्टरों के लिए रिजर्व रखे जाएं।
इसके अलावे रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग है कि जिस तरह अन्य अस्पतालों में कोविड ड्यूटी के बाद 8 दिन का क्वारन्टीन ऑफ मिल रहा है। ठीक उसी तरह एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों को भी अवकाश दिया जाए। साथ ही साथ बिहार सरकार से भी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एक मांग रखी है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन का कहना है कि बिहार में सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज पटना एम्स में हो रहा है इसलिए डॉक्टरों को वहां भी इंसेंटिव दिया जाए। डॉक्टरों की इस मांग के पीछे आईएमए कि वह रिपोर्ट है जिसमें बिहार में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत कोरोना से हुई बताई गई है। बिहार में अब तक 90 डॉक्टर अपनी जान गंवा चुके हैं। कई डॉक्टर संक्रमित हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों की मांग पूरी करने के लिए एम्स प्रशासन और बिहार सरकार के पास केवल 2 दिनों का वक्त है। वरना महामारी में हड़ताल से हालात और बिगड़ सकते हैं।