चाचा-भतीजे में सियासी संग्राम: पारस को चिराग की नसीहत, बोले- परेशानी है तो गठबंधन में बात करें.. हल्ला करने से कुछ नहीं मिलने वाला

चाचा-भतीजे में सियासी संग्राम: पारस को चिराग की नसीहत, बोले- परेशानी है तो गठबंधन में बात करें.. हल्ला करने से कुछ नहीं मिलने वाला

PATNA: हाजीपुर लोकसभा सीट पर दावेदारी को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है। केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोजपा के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने शनिवार को कहा था कि कोई कितना भी छटपटा ले हाजीपुर से वे ही चुनाव लड़ेंगे और इसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। इस बयान को लेकर चिराग ने अपने चाचा पारस को नसीहत दे दी है। चिराग ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि अगर किसी को कोई परेशानी हो तो वह अपनी बातों को गठबंधन के भीतर रखे, सार्वजनिक तौर पर हल्ला करना से कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।


दरअसल, दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होने के बाद शनिवार को पटना पहुंचे पारस ने कहा था कि कुछ लोग बिना किसी आधार के तरह-तरह के अफवाह फैला रहे हैं लेकिन सब लोग कान खोल कर सुन लें, कोई कितना भी छटपटा ले लेकिन मैं हाजीपुर से ही लोकसभा चुनाव लड़ूंगा और चुनाव जीतूंगा। इसे दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती है। एनडीए में शामिल होने के बाद रविवार को जब चिराग पासवान पहली बार पटना पहुंचे, तो चिराग ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को बड़ी नसीहत दे दी। 


चिराग ने कहा है कि जब हम किसी गठबंधन में होते हैं तो गठबंधन की मर्यादा होती है कि जबतक तमाम बातें गठबंधन के भीतर तय नहीं हो जाएं तबतक उसके बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ भी बोलना गठबंधन धर्म का उल्लंघन होगा। गठबंधन में शामिल दल अलग बात-विवाद उत्पन्न करें तो यह कहीं से भी ठीक नहीं है। हमने जितनी भी बातें की हैं वह गठबंधन के भीतर हुई हैं अगर किसी दूसरे को चर्चा करनी है तो सार्वजनिक तौर पर इस तरह से चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। अगर किसी को कोई परेशानी है तो वह गठबंधन के भीतर जाकर बात करे, इस तरह से हो हल्ला करने का कोई लाभ नहीं है।


पशुपति कुमार पारस के यह कहने पर की पैर छू लेने से दिल नहीं मिलेंगे, इसपर चिराग ने बड़ी ही बेबाकी से कहा कि वे इस सब से काफी आगे निकल चुके हैं। पिछले दो ढाई सालों में कभी कोई टिप्पणी उनके बारे में नहीं की है और ना ही अब करूंगा। बिहार और बिहारियों को फर्स्ट बनाने की जो लड़ाई शुरू की है उसे किसी भी हाल में अंजाम तक पहुंचाना है, यह मेरे कोई घर परिवार की लड़ाई नहीं है। ऐसे में इन सब बातों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर गठबंधन में शामिल किसी भी दल को कोई परेशानी है तो उसे गठबंधन के भीतर जाकर अपनी बातों को रखना चाहिए ना कि सार्वजनिक तौर पर हो हल्ला करने को किसी को कोई लाभ मिलने वाला है।