PATNA : बिहार में पंचायत की सरकार पर अब राज्य सरकार नकेल कसने की पूरी तैयारी कर ली है। राज्य सरकार यह आदेश पारित करने जा रही है कि अब मुखिया समेत कोई भी पंचायत के जनप्रतिनिधि अपने मन से किसी से काम नहीं करा पाएंगे। यानी मुखिया जी अपने मन से किसी को भी काम आवंटित नहीं कर पाएंगे। इसको लेकर पहले टेंडर जारी होगा उसके बाद जो काम को अच्छे और सस्ते दर पर करेंगे उन्हें इसका टेंडर दिया जाएगा।
दरअसल, पंचायती राज विभाग ने अब ग्रामीण स्तर पर कार्य कोड बनाया है। इस कार्य कोड पर वित्त विभाग की सहमति मिल गई है। अब जल्द ही इसपर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा। पंचायत कार्य कोड लागू होने के बाद ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद बिना टेंडर कार्य नहीं करा पाएंगे। इसको लेकर सरकार टेंडर जारी करेगी उसके बाद जिनको यह टेंडर मिलेगा वही यह काम करेंगे।
मालूम हो कि, वर्तमान में पंचायती राज्य विभाग के तरफ से एक ग्राम पंचायत को औसतन साल में 50 लाख रुपये विकास कार्यों के लिए मिलते हैं। वहीं, पंचायत समिति और जिला परिषद को इससे कुछ अधिक राशि जाती है। अभी तक यह काम इनकी मर्जी के अनुसार होता रहा है। लेकिन, अब सरकार ने यह तय कर लिया है कि पंचायत के जनप्रतिनिधि अपने मन से किसी से काम नहीं करा पाएंगे। टेंडर पर कैबिनेट का अप्रूवल मिल जाने के बाद इस पर पूरी तरह से लगाम लग जाएगा।
आपको बताते चलें कि ,मुखिया समेत कोई भी जनप्रतिनिधि अपने मन से किसी से काम नहीं करा पाएंगे। वर्तमान व्यवस्था में विभागीय अनुमति से सारे कार्य होते हैं। इसमें सरकारी कर्मी एजेंसी के रूप में नामित होते हैं। मुखिया व संबंधित स्तर के कर्मी-पदाधिकारी संयुक्त रूप से इस कार्य को तय करते हैं। इसमें टेंडर की बाध्यता नहीं है। हालांकि 15 लाख से ऊपर के काम के लिए टेंडर जारी करने का नियम है, पर यह प्रभावी रूप से लागू नहीं हो पाता है।