DELHI : ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए दर्दनाक ट्रेन हादसे में 275 लोगों की जान चली गई, जबकि हजार से ज्यादा यात्री घायल हो गए। अब इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने की सिफारिश रेलवे बोर्ड ने की है। वहीं, इस रेल हादसे में दो ट्रेनों के ड्राइवर (लोको पायलट) और गार्ड घायल हो गए हैं, जिनका इलाज चल रहा है। अब उन्होंने इस पूरे हादसे को लेकर बड़ी बात कही है।
दरअसल, कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर ने ट्रेन हादसे के बाद दिल्ली स्थित डिजास्टर वॉर रूम में बात की थी और बताया था कि हादसा आखिर कैसे हुआ। इस ट्रेन के ड्राईवर ने कहा कि, मुझे ग्रीन सिंगल दिया गया था उसके बाद ही हमने अपनी ट्रेन आगे बढाई। इसके बाद से उनकी हालत गंभीर है और वह अस्पताल में भर्ती है।
वहीं, रेलवे बोर्ड की अधिकारी ने बताया कि ट्रेन हादसे के महज 15 मिनट बाद मुझे निजी तौर पर जानकारी मिल गई थी। इसके बाद डिजास्टर वॉर रूम में कॉल आया। इस कॉल पर कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर थे। इसके साथ ही दूसरी ट्रेन यशवंतपुर एक्सप्रेस के ए1 के टीटी से भी बात हुई। उन्होंने मुझे बताया कि पीछे से जोर की आवाज सुनाई दी। जब देखा तो उसे लगा कि पीछे कुछ आ रहा है। ए-1 के पीछे वाले दो डिब्बे ट्रेन से अलग हो गए और पटरी से उतर गए।
इसके अलावा, रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने मालगाड़ी के गार्ड से भी बात की। रेल बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि रेलवे का नियम है कि जब भी कोई मालगाड़ी खड़ी होती है तो ड्राइवर, गार्ड की जिम्मेदारी होती है कि ट्रेन सेफ रहे। इसी वजह से मालगाड़ी का ड्राइवर उतरकर उसकी जांच करवा रहा था। इतने में ही यह हादसा हो गया। अगर गार्ड अपने गार्ड वाले डिब्बे में होता तो वह नहीं बच पाता। लेकिन वह उस समय नीचे उतरा हुआ था, जिससे उसकी जान बच गई।
इधर, रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे में संभावित तोड़फोड़ और इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली से छेड़छाड़ का संकेत दिया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुर्घटना के असल कारण का पता लगा लिया गया है और इसके लिए जिम्मेदार अपराधियों की पहचान कर ली गई है। अब जल्द ही एक्शन लिया जाएगा। जबकि दिल्ली में कार्यरत रेलवे वे के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि 'प्वाइंट मशीन' और इंटरलॉकिंग प्रणाली कैसे काम करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रणाली त्रुटि रहित और विफलता में भी सुरक्षित (फेल सेफ) है। अधिकरियों ने बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया।