KOLKATA : केंद्र सरकार की तरफ से एनआरसी लागू किए जाने के फैसले का जनता दल यूनाइटेड ने खुलकर विरोध किया था। जेडीयू एनआरसी के समर्थन में नहीं है, चाहे वह असम में लागू हो या किसी अन्य राज्य में। असहमति के बावजूद बिहार में एनडीए की सरकार चला रहे हैं नीतीश कुमार ने एनआरसी के मुद्दे पर खुलकर केंद्र के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला लेकिन उनकी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एनआरसी का खुलकर विरोध किया था।
केंद्र के खिलाफ जेडीयू उपाध्यक्ष की रणनीति
जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र की घेराबंदी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए प्रशांत किशोर ने बिहार की बजाय पश्चिम बंगाल की जमीन को चुना है। प्रशांत किशोर ने एनआरसी के खिलाफ संघर्ष का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर रखा है। यह अलग बात है कि उनके इस ब्लूप्रिंट पर नीतीश कुमार की बजाय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक्शन में दिखेंगी।
NRC के विरोध में सड़क पर दीदी
प्रशांत किशोर ने एनआरसी के विरोध का जो खाका तैयार किया है ममता बनर्जी उस पर एक्शन में दिखने वाली हैं। ममता बनर्जी असम में एनआरसी लागू किए जाने के बाद प्रभावित 19 लाख लोगों के समर्थन में मार्च करने वाली है। ममता बनर्जी का यह मार्च कोलकाता के सिंथी मोड़ से शुरू होकर श्याम बाजार तक होगा। इस मार्च में तृणमूल कांग्रेस के सभी सांसद, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी शामिल होंगे।
बिहार की बजाय पश्चिम बंगाल क्यों?
एनआरसी के खिलाफ प्रशांत किशोर ने जो रणनीति बनाई है उसे बिहार में टेस्ट कर पाना उनकी पार्टी के लिए बेहद मुश्किल काम था। पीके की पार्टी जनता दल यूनाइटेड बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रही है। जाहिर है असहमति के बावजूद नीतीश कुमार एनआरसी के विरोध में सड़क पर नहीं उतर सकते। लिहाजा प्रशांत किशोर ने यह पूरा ब्लूप्रिंट पश्चिम बंगाल की जमीन पर उतार दिया है। पीके पहले ही एलान कर चुके हैं कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वह तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति बनाएंगे। अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के इस फैसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी चुप्पी साध ली थी लेकिन अब बीजेपी को ममता के लिए प्रशांत किशोर का काम करना खटकने लगा है। इंतजार इस बात का है कि बीजेपी कब खुलकर पीके के ऊपर भड़ास निकालती है।