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1st Bihar Published by: Updated Sat, 21 Mar 2020 07:07:50 PM IST
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PATNA : बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर बिहार के लगभग पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों की हड़ताल जारी है।समिति ने एलान किया है कि 22 मार्च को पीएम मोदी के आह्वान का समर्थन करते हुए तमाम हड़ताली शिक्षक अपने परिवार के साथ अपने घरों में बंद रहेंगे। शिक्षक इस दौरान घर से ही 'सेल्फी विद फैमिली' कैंपेन चलाएंगे।समिति ने कहा कि इस कैंपेन के जरिए नियोजित शिक्षक परिवार सोशल मीडिया पर सपरिवार अपनी सेल्फी डालते हुए यह घोषणा करेंगे कि उनका परिवार कोरोना आपदा और वेतन में हकमारी के खिलाफ पुरी तरह एकजुट हैं।
बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति कोर टीम सदस्य और टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने बताया कि कल जनता कर्फ्यू का पालन करते हुए लोग घरों में रहेंगे और कोरोना संबंधी एहतियातों का पालन करते हुए सोशल मीडिया पर "सेल्फी विद फैमिली" कैंपेन चलायेंगे। कैंपेन में नियोजित शिक्षक परिवार सोशल मीडिया पर सपरिवार अपनी सैल्फी डालते हुए यह घोषणा करेंगे कि उनका परिवार कोरोना आपदा और वेतन में हकमारी के खिलाफ पूरी तरह एकजुट हैं।उन्होनें कहा कि हड़ताली शिक्षकों के प्रति सरकार की संवेदनहीनता चरम पर है सरकार हड़ताली शिक्षकों से बात तक करने को तैयार नही है। जहां दूसरे राज्यों में कर्मचारियों को वहां की सरकार अग्रिम वेतन देने की घोषणा कर रही वहीं बिहार में शिक्षकों को लंबित वेतन के भी लाले हैं।
मार्कंडेय पाठक ने कहा कि तमाम तरह की खतरनाक संभावनाओं के बावजूद अभी तक कोरोना टेस्ट के लिए लैब तक नही खोला जा सका है। न ही बाहर से बिहार आ रहे लोगों की शिनाख्त व जांच को लेकर सरकार के पास ठोस मैकेनिज्म है। न केवल शिक्षा बल्कि सरकार आम अवाम के स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर नही है। हड़ताली शिक्षक न टूटनेवाले हैं और न ही झुकनेवाले हैं। सहायक शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा और पूर्ण वेतनमान और सेवाशर्त को लेकर जन एकजुटता के साथ शिक्षक हड़ताल जारी रहेगी।
वहीं राज्य सचिव शाकिर इमाम और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि सरकार की चरम संवेदनहीनता के खिलाफ 23 मार्च से 31 मार्च तक "ईमेल फॉर जस्टिस" सप्ताह मनाया जायेगा। इस दौरान बिहार के हड़ताली शिक्षक अपनी मांगों को लेकर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को ईमेल भेजकर अपनी पीड़ा से अवगत करायेंगे। शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के बाद से देश के लगभग तमाम राज्यों में तय मानदंडों पर शिक्षकों को राज्यकर्मी बनाया जा रहा है उन्हें पूर्ण वेतनमान और सेवाशर्तें दी जा रही है लेकिन बिहार सरकार अपने शिक्षकों के साथ बंधुआ व्यवहार जारी रखे हुए है। धमकी दमन और योग्यता की दुहाई देकर शिक्षकों के तिरस्कार में जुटी नीतीश सरकार के खिलाफ शिक्षक मजबूती से डटे रहेंगे।