नियोजित शिक्षकों के साथ माले ने कर दिया खेल? पहले राज्यकर्मी के आंदोलन का नेतृत्व कब्जाया और अब नीतीश की शान में कसीदे गढ़े

नियोजित शिक्षकों के साथ माले ने कर दिया खेल? पहले राज्यकर्मी के आंदोलन का नेतृत्व कब्जाया और अब नीतीश की शान में कसीदे गढ़े

PATNA: बिहार के करीब पौन चार लाख नियोजित शिक्षकों को ये पूरी उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 अगस्त को गांधी मैदान से उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने का एलान करेंगे. नियोजित शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने उन्हें ऐसा ही दिलासा दिलाया था. एक सप्ताह पहले लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने नीतीश के साथ बैठक कर कहा था कि सारी मांगे पूरी होने वाली हैं. लेकिन नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को ऐसा कुछ एलान नहीं किया. नीतीश नियोजित शिक्षकों की मांग को देखने की बात कह निकल गये. शिक्षक हैरान हैं, लेकिन उनके आंदोलन का नेतृत्व करने वाले भाकपा माले के नेता कह रहे हैं कि शिक्षकों की सारी मांगें पूरी हो गयी. शिक्षकों को वह नहीं सुनना चाहिये बल्कि वह समझना चाहिये जो बिटवीन द लाइन्स छिपी थी. 


माले ने किया नीतीश का गुणगान विधायक 

बिहार के नियोजित शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व अपने हाथ में लेने वाले माले विधायक संदीप सौरभ ने आज फर्स्ट बिहार से बातचीत में कहा कि नीतीश कुमार के शब्दों को नहीं बल्कि बिटवीन द लाइन्स को समझिये. यानि उनके भाषण में जो बात छिपी है, उसे समझना होगा. मुख्यमंत्री ने जो कहा उसे सुनकर कुछ लोग कह रहे हैं कि उन्होंने स्पष्ट तौर पर ये कहा नहीं कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जायेगा. लेकिन लोग जानते हैं कि मुख्यमंत्री बातचीत में सर्वनाम का ज्यादा उपयोग करते हैं, संज्ञा का कम इस्तेमाल करते हैं. उनकी बातों को जिन लोगों ने रीड किया, उनको लग गया कि पहली बार मुख्यमंत्री 15 अगस्त को गांधी मैदान के मंच से कह रहे हैं कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. ये तो हमलोगों के प्रयास से ही संभव हुआ है. 


माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि नीतीश कुमार ने बहुत पॉजिटिवली बात की है. नीतीश जी का बात करने का एक तरीका है, जिसे हर कोई नहीं समझ सकता. जो नहीं समझ सकते वे उनकी बातों को निगेटिव तौर पर ले रहे हैं. लेकिन हमें तो सब कुछ पॉजिटिव नजर आया. मुख्यमंत्री जी ने कहा न कि पहले नये शिक्षकों की बहाली होने दीजिये फिर आप लोगों का देखेंगे. यही बड़ी बात है.


संदीप सौरभ ने दावा किया कि नीतीश कुमार ने पहली दफे गांधी मैदान से नियोजित शिक्षकों की बात की. लेकिन ऐसा पहली दफे नहीं हुआ है. नीतीश कुमार पहले भी कम से कम तीन दफे स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में नियोजित शिक्षकों की बात कर चुके हैं. कल के अपने भाषण में भी उन्होंने कोई ठोस आश्वासन तक नहीं दिया. 


नियोजित शिक्षकों के राज्यकर्मी बनने का रास्ता बंद?

बिहार में फिलहाल बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की बहाली की प्रक्रिया शुरू हुई है. अभी इसकी परीक्षा होगी फिर रिजल्ट और उसके बाद सेलेक्शन का प्रोसेस. इसमें लंबा वक्त लगेगा. नीतीश कह रहे हैं कि इन सबके बाद नियोजित शिक्षकों की मांग पर विचार करेंगे. ऐसे में उम्मीद कम है कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा.