PATNA : बिहार में चल रही लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के बीच पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा व्यवस्था पर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगायी है। कोर्ट ने कह दिया है कि बिहार में कानून का राज एक नारा बन कर रह गया है जिस पर कोई अमल नही कर सकता।राज्य में शिक्षा सबसे खराब हालत में हैं फिर भी इसकी सुध किसी को नहीं है।
पटना हाई कोर्ट ने राज्य में शिक्षा की बदतर स्थिति पर तल्ख टिपण्णी करते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि बिहार में क़्वालिटी एजुकेशन देने के लिए, खासकर गरीबों के बच्चों के लिए , सरकार क्या कर रही है? कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य में शिक्षा की ऐसी बदतर स्थिति इसलिए है क्योंकि सूबे के सरकारी अफसर अपने बच्चों को राज्य से बाहर पढ़ाते हैं।कोर्ट ने कहा कि राज्य में शिक्षा को ऐसी बदतर स्थिति से तभी उबारा जा सकता है जब तमाम अफसरों को बाध्य किया जाए कि उनके बच्चे राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ें।
पूर्णिया में गेस्ट टीचरों को हटाए जाने के मामले पर उपरोक्त तल्ख टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया और मुख्य सचिव को कोर्ट के सवालों के जवाब अगली सुनवाई यानी 23 मार्च से पहले दायर करना है।जज डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की सिंगल बेंच ने कौशल किशोर ठाकुर की रिट याचिका को सुनते हुए बिहार के चीफ सेक्रेट्री को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा है कि बिहार में बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था को कैसे वापस पटरी पर लाया जाए ताकि राज्य के भविष्य जिन गरीबों के करोड़ों बच्चों के कंधों पर है उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके ।