क्या नीतीश के कैप्टन बनने से तेजस्वी को डर लगता है? सुशील मोदी के ट्वीट पर राजद में बेचैनी क्यों?

क्या नीतीश के कैप्टन बनने से तेजस्वी को डर लगता है? सुशील मोदी के ट्वीट पर राजद में बेचैनी क्यों?

PATNA: क्या लालू परिवार के युवराज ये मान चुके हैं कि बिहार में जदयू और भाजपा का गठबंधन कायम रहा तो उनके लिए सत्ता में आना कठिन नहीं बल्कि लगभग नामुमकिन है. नीतीश को कैप्टन बताने वाले ट्वीट पर राजद में फैली बेचैनी कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखा रही है. तभी दिल्ली प्रवास से बुधवार की रात पटना लौटते ही तेजस्वी यादव ने सुशील मोदी को नीतीश कुमार का आदमी करार दिया. सुशील मोदी के जिस बयान पर उनकी पार्टी भाजपा के किसी बड़े नेता ने आपत्ति नहीं जतायी उस पर राजद को क्यों आपत्ति हो गयी? https://youtu.be/X07cpPRg_sk क्या कहा तेजस्वी ने? बुधवार की रात पटना लौटते ही एयरपोर्ट पर तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि नीतीश कुमार को कैप्टन बताने वाले सुशील मोदी भाजपा में डिसीजन मेकर नहीं हैं. वे नीतीशमैन हैं और पार्टी के बजाय नीतीश के इशारे पर बोल रहे हैं. सुशील मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर यकीन नहीं रखते. लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे ने कहा कि नीतीश कुमार ने लोकसभा भी नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था. उनके नाम पर वोट मांग कर ही नीतीश ने लोकसभा की 16 सीटों पर कब्जा किया. बयान सुशील मोदी का और खंडन राजद कर रहा सुशील मोदी के जिस बयान को तेजस्वी यादव उनकी पार्टी नहीं बल्कि सुशील मोदी की निजी राय करार दे रहे हैं, जरा उस पर एक नजर डालिये. सुशील मोदी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा था- नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के कैप्टन हैं और 2020 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भी वही कैप्टन बने रहेंगे. ऐसे भी जब कैप्टन हर मैच में चौका और छक्का जड़ रहा हो और विरोधियों की पारी से हार हो रही हो तो किसी भी प्रकार के बदलाव का सवाल ही कहां उठता है?' सुशील मोदी के इस ट्वीट का भाजपा ने कोई खंडन नहीं किया है. भाजपा के किसी बड़े नेता ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जतायी है. जाहिर है सुशील मोदी ने पार्टी की मर्जी से ही नीतीश को कैप्टन बनाने वाला बयान दिया है. फिर राजद उन्हें क्यों नीतीशमैन करार दे रही है. क्या राजद को जदयू-भाजपा गठबंधन से डर लगता है? सियासी जानकार मानते हैं कि जब तक जदयू-भाजपा का गठबंधन कायम है तब तक लालू प्रसाद यादव के उत्तराधिकारी को मुख्यमंत्री बनाने का सपना अधूरा रह सकता है. लोकसभा चुनाव में राजद ने जातीय समीकरण को फिट करने के लिए तमाम कोशिशें करके देख लीं. लेकिन सारी कोशिशें फेल हो गयीं. जदयू-भाजपा और लोजपा का गठबंधन वोट का ऐसा समीकरण बना रहा है जिसे तोड़ पाना राजद और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए नामुमिकन सा हो गया है. वहीं, तमाम फजीहत के बावजूद नीतीश कुमार का चेहरे के सामने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर लोगों का समर्थन हासिल कर पाना भी असंभव सा काम है. राजद के नेता ये उम्मीद कर रहे थे कि बिहार में जदयू-भाजपा का गठबंधन विधानसभा चुनाव के पहले खत्म हो सकता है. लेकिन सुशील मोदी के बयान से साफ हो गया कि गठबंधन की गांठें अभी खुली नहीं है. लिहाजा राजद में बेचैनी फैलनी स्वभाविक बात नजर आ रही है.