पटना में 24 पाकिस्तानी महिलाओं की लिस्ट जारी, तीन ने ली भारतीय नागरिकता 40 साल दरगाह की सेवा के बाद श्यामलाल की घर वापसी, पहलगाम आतंकी हमले से हुआ हृदय परिवर्तन Bihar News: सदर अस्पताल में मिला 25 वर्षीय युवक का शव, प्रेमिका के परिवार वालों पर हत्या का आरोप आतंकवादी हमले के खिलाफ पटना में महागठबंधन का कैंडल मार्च, तेजस्वी यादव-मुकेश सहनी सहित कई नेता रहे मौजूद Road Accident: भारतीय सेना के जवान की सड़क हादसे में मौत, पिता के निधन के बाद छुट्टी पर आए थे घर गोपालगंज में 4 दिन से लापता युवती की लाश बगीचे से बरामद, हत्या के विरोध में परिजनों ने किया सड़क जाम हंगामा CSKvsSRH: 10वें स्थान को लेकर CSK और SRH में रोचक जंग के बीच चेन्नई को मिले भविष्य के 2 सुपरस्टार BIHAR NEWS: विनोद सिंह गुंजियाल बने बिहार के नये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 2007 बैच के हैं IAS अधिकारी महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर Pahalgam Terror Attack: रूस की अपने नागरिकों को सलाह, “पाकिस्तान की यात्रा न करें”, भारत-पाक के बीच तनाव से पूरी दुनिया अलर्ट
1st Bihar Published by: Updated Wed, 24 Mar 2021 07:09:20 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : बिहार सरकार ने ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने की याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है। सरकार ने कहा है कि आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा तय करने वाले इंदिरा सहनी मामले के फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है इसलिए इसको 11 जजों की बड़ी पीठ के पास भेजा जाना चाहिए। राज्य सरकार की तरफ से अधिवक्ता मनीष कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि 1993 में बिहार में 129 जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल थीं अब इनकी संख्या बढ़कर 174 हो चुकी है। समाज में बदलती हुई परिस्थितियों के मुताबिक कानून में भी बदलाव की आवश्यकता है।
नीतीश सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जो तर्क दिया गया है उसके मुताबिक आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए यानी EWS को 10 फ़ीसदी आरक्षण मिलने के कारण पिछड़े वर्ग को मिलने वाले आरक्षण में कटौती हुई है। इससे सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्ग के लोगों की संख्या घटी है। सरकार ने इसी लिए ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग रखी है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर राज्य सरकारों से उनका मंतव्य मांगा था। अब बिहार सरकार की तरफ से भी इसमें अपना पक्ष रखा गया है। बिहार सरकार का मानना है कि 50 फीसदी की आरक्षण की सीमा को अब बढ़ाए जाने की जरूरत है और इसके लिए पहले के फैसले पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।