PATNA : बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है। इसके बाद से राज्य में कहीं भी शराब पीना या उससे जुड़ा किसी भी तरह का कारोबार करना गैरकानूनी माना गया है और इसको लेकर कठोर सजा का भी प्रावधान लागू है। लेकिन, इसके बाद भी इस कानून के क्या हालात हैं वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। राज्य में इन दिनों शराब की होम डिलीवरी का एक चलन का चल पड़ा है।
राज्य में शराबबंदी के बाद से जहरीली और नकली शराब की बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही है। हालांकि, इसको लेकर पुलिस और उत्पाद विभाग की टीमें लगातार कार्रवाई करके शराब जब्त कर रही है। लेकिन जब्ती के बाद सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि शराब असली है या नकली। अभी फिलहाल इसकी रिपोर्ट के लिए पुलिस को तीन-चार दिन का इंतजार करना पड़ जाता है। ऐसे में अब नीतीश सरकार ने इसका तोड़ निकाल लिया है।
दरअसल, शराब माफिया नकली या मिलावटी शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इस वजह से जब्त शराब की जांच रिपोर्ट जल्दी नहीं मिल पाने से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई में भी देरी होती है। अब इन समस्याओं से निजात पाने को सहरसा में रसायण परीक्षण केंद्र खोला जाएगा। यहां शराब की जांच की जाएगी। केंद्र की रिपोर्ट से यह साफ हो जाएगा कि शराब असली है नकली। इसके लिए जमीन की तलाश चल रही है। हालांकि मद्य निषेध विभाग के ग्रुप सेंटर में सघन परीक्षण केंद्र खोलने पर भी विचार चल रहा है। विभाग के तरफ से भागलपुर और पूर्णिया में भी परीक्षण केंद्र खोलने की योजना बनाई जा रही है।
मालूम हो कि, राज्य में फिलहाल जब्त की गई शराब असली है या नकली इसकी पहचान के लिए सैंपल पटना भेजा जाता है। इसकी रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लग जाते हैं। परीक्षण केंद्र खुल जाने से महज तीन से चार घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी। इससे शराब मामलों के निपटारे में भी तेजी आएगी। केंद्र में जांच के बाद 90 प्रतिशत से अधिक शराब इंडियन मेड फारेन लिकर (आइएमएफएल) के मानकों पर असफल साबित हुई हैं। उत्पाद निरीक्षक संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सहरसा में रसायन परीक्षण खोला जाएगा। संभावित है कि मद्य निषेध विभाग के ग्रुप सेंटर में ही रसायन परीक्षण केंद्र खोला जाए।