तेजस्वी यादव के ट्वीट से बेतरह बौखलाये हैं नीतीश, स्वतंत्रता दिवस के मंच से भी हमला, नीचे बैठे तेजस्वी मुस्कुराते रहे

तेजस्वी यादव के ट्वीट से बेतरह बौखलाये हैं नीतीश, स्वतंत्रता दिवस के मंच से भी हमला, नीचे बैठे तेजस्वी मुस्कुराते रहे

PATNA : स्वतंत्रता दिवस समारोह में गांधी मैदान ने शायद ऐसा नजारा पहली बार देखा होगा. झंडोत्तोलन के बाद भाषण दे रहे मुख्यमंत्री चुनावी रैली की तरह प्रतिपक्ष के नेता पर निशाना साध रहे थे और नीचे बैठे नेता प्रतिपक्ष मुस्कुरा रहे हो. तेजस्वी यादव के ट्वीट से बौखलाये नीतीश कुमार ने आज गांधी मैदान से भी जमकर हमला बोला. 

क्या बोले नीतीश कुमार

गांधी मैदान के मंच से नीतीश का भाषण ये बता रहा था कि चुनाव सामने है. नीतीश कुमार अपने भाषण में पहले तो अपनी उपलब्धियां गिनाते रहे. फिर उन्हें तेजस्वी यादव के ट्वीट की याद आयी. नीतीश बोले-

“हम तो काम करते रहते हैं. लेकिन आजकल चल गया है ट्वीट. कौन-कौन, क्या-क्या करता है. जो कुछ नहीं जानता है वो सब करता है ट्वीट.कितना काम हो रहा है बिहार में. हम तो हाथ जोड़ कर कहेंगे कि आप लोग देखिये. पहले क्या था. अब क्या है.”

नीतीश कुमार यहीं नहीं रूके. वे बोलते रहे- 

“सोशल मीडिया के दो रूप है. एक पक्ष बहुत पॉजिटिव है. उससे लोगों को सही जानकारी मिलती है. और एक पक्ष है जो उसका दुरूपयोग करेगा. कोई काम नहीं करेगा. घर में बैठा रहेगा. सोया रहेगा. कुछ का कुछ लिख देगा.”

नीतीश तेजस्वी का नाम नहीं ले रहे थे. लेकिन भाषण सुनने वाला हर कोई ये समझ रहा था कि वे किस पर निशाना साध रहे थे. मजेदार ये भी था कि स्वतंत्रता दिवस के सरकारी समारोह में तेजस्वी यादव भी अतिथियों की दीर्घा में बैठे हुए थे. नीतीश जब ट्वीट-ट्वीट बोल रहे थे तो आस-पास बैठे लोगों की निगाहें तेजस्वी की ओर उठ रही थीं. तेजस्वी के पास मुस्कुराने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था. 


नीतीश ने चुनावी एजेंडे के लिए सरकारी तंत्र को लगाया

गांधी मैदान से नीतीश कुमार ने आज नयी जानकारी भी दे दी. उन्होंने बिहार के लोगों को 1990 से 2005 के बीच के समय की याद दिलाने के लिए सरकारी अधिकारियों को लगा दिया है. उन्होंने कहा

“हमने सरकारी अधिकारियों को कहा है कि पहले से लेकर आज की क्या स्थिति है. इसका आकलन कर बात को लोगों के सामने रखिये. नयी पीढ़ी को जानकारी मिले. हम लोग जितना काम कर दिये, वह बताइये. पहले क्या था. कहीं सडक था जी? गढढ़ा था. गढढ़ा में सडक, सड़क में गढढा, यही कहा जाता था. कुछ नहीं था. लेकिन जो कम उम्र के बच्चे हैं उन्हें कुछ मालूम नहीं. अब वो 18-20 के होने जा रहे हैं. सब को सही जानकारी मिलनी चाहिये.”

क्यों बौखलाये हैं नीतीश कुमार

दरअसल नीतीश कुमार और उनकी पार्टी साफ कर चुकी है कि बिहार विधानसभा का अगला चुनाव वे लालू-राबडी के 15 साल बनाम अपने 15 साल के एजेंडे पर लडने जा रहे हैं. लेकिन उनकी चिंता का कारण 18 से लेकर 25 साल तक के वोटर हैं. उन्हें 15 साल पहले की कहानी न तो याद है और ना ही वे उसे याद करना चाहते हैं. बिहार में ऐसे वोटरों की तादाद डेढ़ करोड से ज्यादा है. नीतीश जानते हैं कि वोटरों का यही समूह सोशल मीडिया पर एक्टिव है. अगर उसने नीतीश कुमार के भाषण के बजाय तेजस्वी यादव के ट्वीट पर यकीन कर लिया तो फिर चुनावी बिसात पलट जायेगी. लिहाजा हर सरकारी कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री ट्वीट पर हमला जरूर बोल रहे हैं. 

तेजस्वी बोले-आज पॉलिटिक्स नहीं

उधर नीतीश के हमले पर तेजस्वी यादव ने जवाब देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि आज स्वतंत्रता दिवस है. इस मौके पर राजनीति नहीं होनी चाहिये.