Life Style: बच्चों और किशोरों की नींद सुधारने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय, जानिए... Bihar Crime News: कलयुगी पत्नी ने मायके बुलाकर पति को दिया दूध में जहर, मौत Bihar News: ट्रायल के बाद भी क्यों शुरू नहीं हुई डबल डेकर ओपन बस सेवा? विभाग ने ही लगा दिया पेंच? Bihar Crime News: किसान की गोली मारकर हत्या, अपराधियों ने चेहरे पर की ताबड़तोड़ फायरिंग Patna Encounter: कुख्यात अपराधी अंगेश कुमार एनकाउंटर में घायल, पुलिस पर की थी फायरिंग Bihar News: बिहार में अपराधियों की उलटी गिनती शुरू, भूमाफिया और ड्रग तस्करों के साथ 40 की संपत्ति होगी जब्त Bihar News: अवैध वसूली के आरोप में दो पुलिस पदाधिकारी निलंबित, चार कर्मी ड्यूटी से वंचित Muzaffarpur Encounter: पुलिस की पिस्टल छीन भाग रहा था कुख्यात, अब जीवन भर चलने में होगी दिक्कत Shravani Mela 2025: सुल्तानगंज पहुंचना इस श्रावणी मेले में होगा और आसान, रेलवे का बड़ा फैसला Bihar Monsoon: मॉनसून को लेकर करना पड़ेगा और इंतजार? मौसम विभाग ने गर्मी के बीच बढ़ा दी टेंशन
1st Bihar Published by: VISHWAJIT ANAND Updated Mon, 26 Jun 2023 02:21:06 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार के अनुसूचित जाति/ जनजाति कल्याण मंत्री रत्नेश सदा ने बिहार के पूर्व सीएम व हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी को लेकर बड़ा बयान दिया है। कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो उन्हें कुर्सी पर बिठाने का काम किया जबकि भाजपा नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तो उनसे चप्पल तक उतरवाने का काम किया। जीतनराम मांझी के लिए इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है।
जिस व्यक्ति को चप्पल पहनकर अंदर नहीं जाने दिया उस व्यक्ति का ऐसे लोग क्या सम्मान करेंगे? क्या कुर्सी पर बैठने देंगे? रत्नेश सदा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ मांझी जी को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया था। मांझी जी को कुर्सी पर बैठाने का काम नीतीश कुमार ने किया था। दूसरे लोग हो या BJP के लोग हो मांझी जी को कोई इतनी इज्जत देने वाला नहीं है।
अमित शाह से मिलने गए तो चप्पल तक बाहर खुलवाया गया। चप्पल खोलकर ही मांझी अमित शाह से मिलने अंदर गये। रत्नेश सदा ने कहा कि उन्होंने पूरे मुसहर समाज को बदनाम करने का काम किया है। रत्नेश मांझी ने कहा कि उनके बेटे संतोष मांझी कहते हैं कि यह संस्कार है। लेकिन हम पूछता है कि क्या यही संस्कार है कि नीतीश कुमार के साथ रहते थे तो चप्पल पहनकर कुर्सी पर बैठते थे और वहां जाते हैं तो चप्पल खोल कर अंदर जाते हैं यह उनका डर है।
वह डर से ऐसा बोल रहे हैं कि हमारा संस्कार है। चप्पल उतार कर जाने का अगर ऐसा था तो बिहार में नीतीश कुमार के साथ में चप्पल उतार कर क्यों नहीं बैठते थे। रत्नेश सदा ने कहा कि जीतन राम मांझी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। मांझी ने कहा था कि नीतीश कुमार ने मुसहर समाज को अपमानित करने का काम किया है जबकि हकीकत यह है कि मांझी ने खुद दलित समाज को अपमानित करने का काम किया है।
मांझी ने अनुसूचित जाति- अनूसूचित जनजाति को अपमानित किया है। जबकि नीतीश कुमार ने तो उन्हें कुर्सी पर बैठाने का काम किया उन्हें बिहार का सीएम बनाया। महागबंधन से अलग होने के बाद वो एनडीए में शामिल हुए लेकिन वहां उनके साथ किस तरह का व्यवहार हुआ यह हर कोई जानता है। मांझी के साथ बीजेपी नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्या किया सब को पता है। अमित शाह ने उनसे चप्पल उतरवाने का काम किया है इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है। जिस व्यक्ति को चप्पल तक उतवा दिया गया उस व्यक्ति को कुर्सी पर बैठाएगा ऐसा हो सकता है क्या?