DARBHANGA: सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के मर्दों को नसीहत दी हैं. सीएम ने कहा कि घर में शौचालय बनने के बाद भी मर्दों को बाहर ही शौच करने की आदत हो गई है. इनकी आदत छुट नहीं रही है. महिलाएं तो बाहर जाना बंद कर दी हैं, लेकिन मर्दों को लगता है कि अंदर करेंगे तो शौच होगा ही नहीं. इनलोगों से मैं कहना चाहता हूं कि एक दो दिन दिक्कत होगी. फिर सब ठीक हो जाएगा. आप लोग बाहर नहीं जाए. अपनी आदत में सुधार करें. हर घर शौचालय बना रहे हैं. अगर स्वच्छ पानी और खुले में शौच से मुक्ति मिल जाएगी तो कई बीमारियों से लोगों को मुक्ति मिलेगी.
हरियाणा के कारण बिहार को लग गई बीमारी
सीएम नीतीश कुमार ने दरभंगा में जल जीवन हरियाली जागरूकता सम्मेलन में लोगों को संबोधित किया. कहा कि हरियाणा के कारण बिहार को एक गंभीर बीमारी हो गई है. पहले हरियाणा में खेतों में फसलों के अवशेष जलाए जा रहे थे. लेकिन यह बीमारी बिहार तक आ गई. बिहार में पहले किसान रोहतास, कैमूर, भोजपुर में अवशेष जलाते थे. लेकिन अब पटना के किसान भी खेतों में अवशेष जलाने लगे हैं. जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है.
मिथिला में तालाबों का हुआ अतिक्रमण
सीएम ने कहा कि जल जीवन हरियाली को लेकर काफी मंथन किया गया है. बिहार में सूखे की स्थिति थी. पिछले साल भी चिंतित था और कहा था कि इस साल भी स्थिति बुरा होगा. इसको लेकर बिहार में अध्ययन कराया गया कि बिहार में जलस्तर की क्या स्थिति है. गंगा के उतरी एरिया में जलस्तर में गिरावट आती रहती है, लेकिन मिथिला में भूजल में गिरावट आई तो हमने कहा कि पर्यावरण का संकट आ रहा है. सीएम ने कहा था जब हमलोगों युवा अवस्था में थे सुनते थे कि बिहार में औसत बारिश 1200-1500 मिमी होती थी. लेकिन अब कितना होगा यह नहीं कहा जा सकता है. 13 साल में बहुत कम हुआ. जिसके बाद मैंने सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक की. सभी ने समस्याओं को बताया है. सीएम ने कहा कि जल है तो जीवन है और इसके बाद हरियाली है. चाहे वह मनुष्य हो या पशु पक्षी हो यह सभी पर लागू होता है. जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 11 काम हो रहा है. जितने भी सार्वजनिक तालाब,आहर पोखर, पईन है उसको अतिक्रमण से मुक्त कराया जा रहा है. उसकी फिर से खुदाई की जा रही है. मिथिला में पहले बहुत तालाब था, लेकिन अतिक्रमण के कारण कम हो गया. अब हर घर नल का जल, हर घर बिजली तो पहुंचा दिया. सीएम नीतीश ने कहा कि जब झारखंड अलग हुआ था तो उस समय 9 प्रतिशत वन क्षेत्र था. लेकिन अब 15 प्रतिशत हो गया है. तीन साल में 8 करोड़ से अधिक पौधारोपण होगा. इसके बाद 17 प्रतिशत तक हरित आवरण बढ़ जाएगा. जिसके बाद जीवन सुरक्षित होगा.