PATNA : आरएलएसपी सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा ने स्वीकार किया है कि नीतीश कुमार क्षमतावान हैं पर उन्होनें अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल केवल कुर्सी बचाने में किया, इसका इस्तेमाल अगर वे बिहार को बनाने में करते तो आज स्थिति बेहतर होती।
फर्स्ट बिहार से खास बातचीत में उपेन्द्र कुशवाहा ने कई मुद्दों पर बात की खासकर उन्होनें कोरोना संकट के बीच प्रवासी मजदूरों की समस्यायों को मुखरता के साथ रखा। आरएलएसपी सुप्रीमो ने कहा कि कोरोना संकट ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के उन दावों की पोल खोल दी जिसमें वे कहते थे कि बिहारियों का यहीं भरपूर मौके मिल रहे हैं वे रोजगार के लिए बाहर नहीं जा रहे हैं। लेकिन इसके उलट बिहार के लाखों-लाख मजदूरों के पलायन को लोगों ने देखा। बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक ही बिहार के 27-28लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। लेकिन प्रवासियों के आंकड़ें इससे कही ज्यादा हैं।
उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार वापस आ रहे प्रवासी मजदूरों की समस्या और भी ज्यादा गंभीर है। मैंने खुद जाकर कई क्वारेंटीन सेंटरों की स्थिति देखी है। वहां स्थिति बद से बदतर है। सरकार घर लौट रहे मजदूरों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाने में अक्षम नजर आ रही है। सरकार के सारे दाव फेल दिख रहे हैं। वहीं लौटने वाले मजदूरों को रोजगार देने का दावा करने वाले सीएम नीतीश कुमार को आज लग रहा है बिहार में उद्योगों की जरुरत थी। लेकिन 15 साल तक वे केवल अपनी कुर्सी बचाने में लगे रह गये। कुशवाहा ने स्वीकार किया कि नीतीश कुमार क्षमतावान नेता है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन उन्होनें क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं किया बिहार के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया।
हालांकि इस बातचीत में उपेन्द्र कुशवाहा तेजस्वी यादव के गोपालगंज यात्रा की राजनीति और जीतन राम मांझी के आरोपों पर चर्चा करने से कन्नी काट गये। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव पर महागठबंधन के सभी दलों को साथ लेकर नहीं चलने का आरोप लगाया था। वहीं महागठबंधन के नेता के चेहरे पर कहा कि अभी वह तय नहीं हुआ है सभी पार्टियां मिल बैठ करेंगी।