PATNA: बिहार सरकार मीडियाकर्मियों को लेकर लापरवाही बरत रही है. कोरोना संकट के बीच रोज जान जाखिम में डाल बिहार के पत्रकार खबरें दर्शकों तक पहुंचा रहे हैं. इसके बाद भी नीतीश सरकार बिहार के पत्रकारों को कोरोना वारियर्स नहीं मानती हैं.
पत्रकारों का क्यों नहीं कराया जा रहा टेस्ट
सीतामढ़ी में एक पत्रकार को कोरोना का लक्षण मिलने के बाद उसका सैंपल लिया गया है. लेकिन बाकी पत्रकारों का नहीं लिया गया है. सवाल है कि बिहार के पत्रकारों का टेस्ट सरकार क्यों नहीं करा रही है. जबकि दिल्ली और मुंबई में सैकड़ों पत्रकार कोरोना पॉजिटिव निकल चुके हैं. इसके बाद भी बिहार सरकार लापरवाही बरत रही है. एक पत्रकार खबर कवरेज करने के लिए दिन भर में कई जगहों पर जाते हैं, कई लोगों से संपर्क में आते हैं फिर घर जाते हैं. ऐसे में संक्रमण का खतरा रहता है. फिर भी सरकार नींद में है.
दूसरे राज्यों ने मुआवजे और इलाज की घोषणा
कोरोना वारियर्स पत्रकारों को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने टेस्ट करा रहे हैं यहां तक की मुफ्त में इलाज की घोषणा की है. हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने 10 लाख रुपए मुआवजा की घोषणा की है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने 10 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा की घोषणा की है. महाराष्ट्र सरकार ने भी 10 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा दे रही है. उड़ीसा सरकार ने 15 लाख रुपए मुआवजे का एलान किया है. लेकिन नीतीश सरकार बिहार के पत्रकारों को एक कोरोना टेस्ट तक नहीं करा पा रही है.
तेजस्वी कर चुके हैं मांग
तेजस्वी यादव ने कुछ दिन पहले ही सरकार से पत्रकारों के कोरोना जांच कराने की मांग की थी. तेजस्वी ने सीएम नीतीश से आग्रह किया था कि सक्रिय सकारात्मकता के साथ प्रदेशवासियों को पल-पल कोरोना पर जागरूकता और जानकारी से अवगत करा रहे सभी कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार बंधुओं का कोरोना जांच करवा कर, उन्हें भी बाक़ी कोरोना योद्धाओं की तरह समुचित सुरक्षा और सुविधाएं सुनिश्चित कराए. लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी.