नीतीश को क्या हो गया है? राष्ट्रपति के कार्यक्रम में लिखित भाषण लेकर आये फिर भी अंड-बंड बोल गये, दीपक कुमार को मुख्यमंत्री बता कर सुधारा

नीतीश को क्या हो गया है? राष्ट्रपति के कार्यक्रम में लिखित भाषण लेकर आये फिर भी अंड-बंड बोल गये, दीपक कुमार को मुख्यमंत्री बता कर सुधारा

PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आखिरकार क्या हो गया है. देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के कार्यक्रम में भी उनकी जुबान बहक जा रही है. मोतिहारी में आज ही दिन में राष्ट्रपति के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं से अपनी दोस्ती पूरी जिंदगी बरकरार रहने का एलान कर दिया था. बाद में सियासी घमासान गहराया तो राष्ट्रपति के अगले कार्यक्रम में लिखित भाषण लेकर पहुंचे. लेकिन फिर भी अंड-बंड बोल गये.


एम्स में लिखित भाषण लेकर आये नीतीश

दरअसल गुरूवार को दिन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का कार्यक्रम मोतिहारी के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में था. शाम में राष्ट्रपति पटना एम्स के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंची. वहां भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद रहे. मोतिहारी के कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं को कहा था-“ हमरा त दोस्ती कहियो खतम होगा. जब तक हम जीवित रहेंगे, आप लोगों के साथ भी मेरा संबंध रहेगा. चिंता मत करिये.”  


नीतीश कुमार ने उस कार्यक्रम में ये भी कहा था कि केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस और यूपीए सरकार मोतिहारी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं बनने दे रही थी. नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद मोतिहारी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलने की मंजूरी मिली थी. नीतीश कुमार के इन बयानों पर बिहार में जमकर सियासी घमासान मचा था. लिहाजा शाम में जब पटना एम्स में दीक्षांत समारोह हुआ तो नीतीश कुमार लिखित भाषण लेकर पहुंचे. लेकिन फिर भी उनकी जुबान बहक ही गयी.


अंड-बंड बोल गये नीतीश

पटना एम्स के दीक्षांत समारोह में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के सामने भी नीतीश कुमार अंड-बंड बोल गये. नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम में बार-बार ये दुहराया कि मीडिया उनकी बातें नहीं चलाता है. नीतीश कुमार कह रहे थे कि जैसे उन्होंने मोतिहारी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनवाया था, वैसे ही पटना में एम्स भी उन्होंने ही खुलवाया है. लेकिन कोई उनके काम को याद नहीं रखता है. मेरा नाम नहीं लेता है. नीतीश बोले-यहां तो कुछ पत्रकार बैठा है बेचारा, उसे सब मालूम है. लेकिन चर्चा करेगा. उसको अधिकार है चर्चा करने का. 


लेकिन असली बात को अंड-बंड की थी. राष्ट्रपति के सामने भी नीतीश कुमार अंड-बंड बोल ही गये. नीतीश कुमार ने कहा-कोई पत्रकार को हम नहीं कहेंगे कि मेरे बारे में भी यहां कुछ बोलियेगा. मत कुछ बोलियेगा. हमारा कुछो मत बोलियेगा. फालतू बात है. आज हम दूसरा जगह बोले हैं, उसी में अंड-बंड बोल दिया है.” 


दिलचस्प बात ये भी थी कि इसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने कम से कम एक दर्जन बार ये कहा कि पटना एम्स को किसने खुलवाया ये याद रखियेगा. वे वहां मौजूद मीडिया से लेकर डॉक्टरों और छात्रों को ये बात समझा रहे थे. लेकिन उसी दौरान उनकी जुबान पर अंड-बंड आ ही गया.


दीपक कुमार को कह दिया मुख्यमंत्री

कुछ दिनों पहले नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को मुख्यमंत्री कह कर संबोधित कर दिया था. आज वे लिखित भाषण पढ़ रहे थे लेकिन उसमें अपने प्रधान सचिव दीपक कुमार को मुख्यमंत्री कह कर संबोधित कर गये. हालांकि बाद में नीतीश संभले और कहा कि दीपक कुमार पूर्व मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूर्व मुख्य सचिव हैं. मुख्यमंत्री गलत से बोल दिये. 


बता दें कि इससे पहले आज ही मोतिहारी के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नीतीश कुमार के भाषण पर बिहार में सियासी घमासान छिड़ गया है. नीतीश कुमार ने भाजपा से अपने रिश्ते बताये तो राजद ने सवाल कर दिया कि नीतीश वो दिन भूल गये जब वे नरेंद्र मोदी के सामने हाथ जोड़ कर बिलबिला रहे थे. इसके बाद नीतीश कुमार का बचाव करने के लिए उनके खास मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया के सामने सफाई दी. 


जब तक जिंदा हैं तब तक भाजपा से दोस्ती

बता दें कि आज मोतिहारी का मंच राजनीतिक नहीं था. सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह ता, जिसमें राष्ट्रपति मौजूद थीं. उस कार्यक्रम में मौजूद भाजपा सांसद राधामोहन सिंह औऱ दूसरे बीजेपी नेताओं की ओर इशारा करते हुए नीतीश बोले-“ये जितने लोग हैं, सब साथी हैं. कौन कहां है, छोड़िये न भाई. छोड़ो न एकरा से का मतलब है. हमरा त दोस्ती कहियो खतम होगा. जब तक हम जीवित रहेंगे, आप लोगों के साथ भी मेरा संबंध रहेगा. चिंता मत करिये.”


कांग्रेसी सरकार को कोसा था

कार्यक्रम में भाषण देते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2007 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलने का एलान किया था. 2009 में मनमोहन सिंह केंद्र सरकार ने केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम पास किया. बिहार में भी एक यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला लिया गया. नीतीश बोले-मैंने उसी समय केंद्र सरकार से मांग किया था कि इस यूनिवर्सिटी को मोतिहारी में खोला जाये. मोतिहारी ही वह जगह है जहां से महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन की शुरूआत की थी. बापू ने यहां शिक्षा की अलख भी जगायी थी. नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने बार-बार तत्कालीन केंद्र सरकार को कहा कि मोतिहारी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोला जाये लेकिन वह राजी नहीं हुई.


नीतीश कुमार ने कहा कि मनमोहन सिंह के समय मैंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से जाकर मुलाकात की. उन्होंने मुझे खाना खिलाया लेकिन मोतिहारी में सेंट्ल यूनिवर्सिटी खोलने से मना कर दिया. मैं उन्हें बार-बार कहता रहा कि मोतिहारी में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलिये लेकिन वे माने नहीं. उस समय की केंद्र सरकार ने कहा कि गया में सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलेंगे. नीतीश कुमार ने कहा-“वो तो 2014 में जब केंद्र में नयी सरकार आयी तो मोतिहारी में बापू के नाम पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला लिया. 2016 से यहां काम भी शुरू हो गया.”