PATNA: बिहार में आज से जातिगत गणना शुरू हो गई। दो चरणों में होने वाली जाति आधारित गणना पर राज्य सरकार 500 करोड़ रूपए खर्च कर रही है। केंद्र सरकार के इनकार करने के बाद बिहार सरकार अपने खर्चे पर यह जातिगत जनगणना करा रही है। वहीं दूसरी तरफ जातिगत जनगणना को लेकर बिहार में सियासत भी तेज हो गई है। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार पर जोरदार हमला बोला है। विजय सिन्हा ने कहा है कि नीतीश कुमार लालू प्रसाद के रास्ते पर चलकर बिहार में जातिय उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में जिस तरह से शराबबंदी फेल हुई है ठीक उसी तरह से जातिगत जनगणना भी फेल होगी।
विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि आजादी के 75 साल बीत गए लेकिन देश में किसी ने जातिगत जनगणना कराने की जरुरत नहीं समझी। केंद्र सरकार सभी तबका के लोगों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। बापू, जेपी, लोहिया जैसे लोगों ने जाति विहीन समाज बनाने का सपना देखा था लेकिन आज उस रास्ते पर नहीं चलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में जातिय उन्माद पैदा करने वाले लालू प्रसाद के रास्ते पर चल दिए हैं। जिस लालू प्रसाद ने बिहार में जातिय नरहसंहार कराया आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उसी राह पर आगे बढ़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में जातिय जनगणना जरूर कराएं लेकिन ये भी बताएं कि जो पांच सौ करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, क्या उसका लाभ बिहार की जनता को मिल पाएगा। बीपीएससी, बीएसएससी और शिक्षक अभ्यर्थियों पर जो लाठियां बरसाई जा रही हैं उसका समाधान करने के बजाए जाति के नाम पर समाज को एक दूसरे से लड़ाने के लिए जातिगत जनगणना कराई जा रही है। विजय सिन्हा ने हाथ जोड़कर बड़े और छोटे भाई से बिहार को बख्श देने की अपील की है। दोनों भाइयों पिछले 32 साल से बिहार में जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं कराई थी। अब जब बिहार मे विकास का गति को तेज करना है तो सत्ता के लिए फिर से राज्य में अशांति लाने की कोशिश कर रहे हैं।
विजय सिन्हा ने कहा है कि बिहार के पांच करोड़ लोग जो राज्य से बाहर हैं सरकार को उनकी भी चिंता करनी चाहिए। आखिर उन्होंने बिहार से क्यों पलायन किया और कौन लोग इसके लिए जिम्मेवार हैं और किन लोगों के कारण उन्हें बिहार छोड़ना पड़ा उनकी भी जनगणना होनी चाहिए। सभी पार्टियों की बैठक बुलाकर इसपर मंथन करने की जरुरत है। सरकार सभी लोगों से विचार विमर्श करने के बाद बिहार में जातिगत जनगणना कराए। लेकिन सरकार के नीयत में खोंट है, शराबबंदी की तरह ये नीति भी फेल करेगी और इसका साइड इफेक्ट भी आने वाले समय में सामने आएगा।