PATNA : नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने जब एक साथ आकर नई सरकार बनाई तो मंगलवार को कैबिनेट का पहला विस्तार किया गया। कैबिनेट में शामिल मंत्री कार्तिकेय कुमार को लेकर विस्तार के अगले दिन ही बिहार की सियासत गर्म हो गई। कार्तिकेय कुमार विरोधियों के निशाने पर हैं। बीजेपी सवाल खड़े कर रही है लेकिन नीतीश कुमार इस बात से अनजान दिखने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल यह पूरा मामला जितना आसान दिख रहा है उतना है नहीं मामला केवल सत्ता पक्ष और विपक्ष का नहीं बल्कि महागठबंधन के अंदर चल रहे सियासी रस्साकशी का है। मौजूदा विवाद को लेकर ज्यादातर लोगों को मालूम है कि मंत्री कार्तिकेय कुमार किसके करीबी हैं। कार्तिकेय कुमार को मंत्री बनाए जाने को लेकर शुरू से ही महागठबंधन सरकार के अंदर विवाद होता रहा। तेजस्वी यादव और लालू यादव कार्तिकेय कुमार को मंत्री बनवाना चाहते थे जबकि अंदर की खबर यह है कि अनंत सिंह का करीबी होने की वजह से जेडीयू नेतृत्व कार्तिकेय कुमार के नाम का विरोध कर रहा था। कार्तिकेय कुमार की जगह भूमिहार जाति से आने वाले दूसरे नाम भी जेडीयू की तरफ से सुझाए लेकिन तेजस्वी नहीं माने और आखिरकार कार्तिक कुमार की कैबिनेट में एंट्री हो गई।
कैबिनेट विस्तार के अगले ही दिन सुबह से मंत्री कार्तिकेय कुमार के फरारी होने और बाकी अपराधिक मामलों को लेकर खबरें चलने लगी। नीतीश कैबिनेट में शामिल किए गए नए चेहरों को लेकर एडीआर की एक रिपोर्ट सामने आई है। एडीआर चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था है और इसकी रिपोर्ट के मुताबिक बिहार सरकार के 72 फ़ीसदी मंत्रियों पर किसी ने किसी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज है। रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा सरकार के 23 मंत्रियों पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। इनमें से 17 पर गंभीर मामले दर्ज हैं। ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि जब 72 फ़ीसदी मंत्रियों के ऊपर मामले दर्ज हैं तो केवल कार्तिकेय कुमार ही निशाने पर क्यों हैं? दरअसल कार्तिकेय कुमार और अनंत सिंह के रिश्ते इतने खास हैं कि जेडीयू का मौजूदा नेतृत्व इसे पचा नहीं पा रहा। तेजस्वी यादव ने कार्तिक कुमार को मंत्री तो बनवा दिया लेकिन इसके साथ ही जेडीयू और आरजेडी के बीच दांवपेच की शुरुआत हो गई।
बिहार कैबिनेट के जिन मौजूदा मंत्रियों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं उसमें सबसे पहला नाम जमा खान का है। जमा खान 2020 का विधानसभा चुनाव बीएसपी के टिकट पर जीते लेकिन बाद में पाला बदलकर जेडीयू में शामिल हो गए। उनके ऊपर भभुआ के अलग-अलग थानों में 3 केस दर्ज है। मदन सहनी के ऊपर दरभंगा के बहादुरपुर और घनश्यामपुर थाने में एक–एक केस दर्ज है। संजय कुमार झा के ऊपर भेज दो केस दर्ज है। ललित यादव के ऊपर पटना में एक केस दर्ज है जबकि रामानंद यादव के ऊपर पटना में तीन और जहानाबाद में एक केस दर्ज है। सुरेंद्र यादव के खिलाफ कुल 9 केस दर्ज है। आलोक मेहता के खिलाफ तीन मुकदमे हैं जबकि कुमार सर्वजीत के खिलाफ पटना में एक केस है। सुधाकर सिंह के खिलाफ 2 केस दर्ज है। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के खिलाफ 5 केस दर्ज है। आरजेडी कोटे से मंत्री बनाए गए जितेंद्र कुमार राय के ऊपर पांच मुकदमे दर्ज हैं। मोहम्मद शाहनवाज के ऊपर एक केस दर्ज है जबकि चंद्रशेखर के ऊपर 3 केस दर्ज है। सुरेंद्र राम के ऊपर 4 केस, अनीता देवी के ऊपर एक केस, मोहम्मद इसराइल मंसूरी के ऊपर 2 केस, मुरारी प्रसाद गौतम के ऊपर एक केस और संतोष सुमन के ऊपर भी एक केस दर्ज है। निर्दलीय विधायक बनकर इस कैबिनेट में मंत्री बने सुमित सिंह के ऊपर भी एक केस दर्ज है। इसी कड़ी में कार्तिकेय कुमार के खिलाफ कुल 4 मुकदमे दर्ज हैं। इन सबके बावजूद कार्तिकेय कुमार लगातार निशाने पर हैं।