PATNA: 12 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की बैठक कर नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का एलान कर रहे नीतीश कुमार को अब कांग्रेस ने झटका दिया है. कांग्रेस के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक विपक्षी पार्टियों की बैठक में कांग्रेस का ऐसा कोई नेता शामिल नहीं होगा जिसके पास कोई फैसला लेने का पावर हो. यानि राहुल गांधी या पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मंर से कोई भी इस बैठक में शामिल नहीं होने जा रहा है. कांग्रेस ने आज इशारों में ये बात कह भी दी.
कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने आज कहा कि 12 जून को विपक्षी पार्टियों की बैठक में कांग्रेस का प्रतिनिधि शामिल होगा. लेकिन कांग्रेस का कौन नेता बैठक में शामिल होगा ये तय नहीं हुआ है. जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस का कौन नेता बैठक में शामिल होगा इसका फैसला पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे औऱ दूसरे सीनियर लीडर तय करेंगे. जब बैठक की तिथि करीब आयेगी तो ये जानकारी दिया जायेगा कि कांग्रेस की ओर से कौन नेता 12 जून की बैठक में शामिल होगा.
जयराम रमेश के बयान से ये तो साफ हो गया कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस बैठक में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. पार्टी के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस अपने किसी महासचिव को इस बैठक में शामिल होने के लिए भेज सकती है. लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस में राहुल गांधी या पार्टी अध्यक्ष के अलावा किसी के पास कोई फैसला लेने का पावर है. जाहिर है कांग्रेस अपना प्रतिनिधि भेज कर सिर्फ रस्म अदायगी करेगी.
वैसे भी कांग्रेस के अंदर ही 12 जून की बैठक को लेकर भारी घमासान छिड़ा है. कांग्रेस की पंजाब औऱ दिल्ली इकाई ने अपने आलाकमान से साफ कह दिया है कि आम आदमी पार्टी औऱ अऱविंद केजरीवाल से किसी तरह के समझौते की गुंजाइश नहीं है. पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता ने तो अरविंद केजरीवाल को प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी करार देते हुए कहा है कि पार्टी को उनसे कोसों दूर रहना चाहिये. उधर, बंगाल में कांग्रेसी नेताओं ने ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ममता बनर्जी ने दो दिन पहले बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है. लोकसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं.
जाहिर है कांग्रेस इस बैठक में सिर्फ अपनी उपस्थिति दिखाने के मूड में है ताकि उस पर विपक्षी एकता नहीं होने देने का आरोप न लगे. फिलहाल जो हालात हैं उसमें कांग्रेस का अरविंद केजरीवाल से लेकर ममता बनर्जी से तालमेल हो पाना मुमकिन नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव से भी कांग्रेस की तनातनी है. वहां भी सपा और कांग्रेस का तालमेल असंभव सा दिख रहा है. ऐसे में क्या 12 जून की बैठक सिर्फ दिखावा बन कर रह जायेगी. इसका जवाब आने वाला वक्त देगा.